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वाह रे ! भारत ?

bharat
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वाह रे ! भारत ?
शेख़चिल्ली ,मुँगेरीलाल और मुल्ला नसीरुद्दीन हिंदी कॉमिक्स के भले ही काल्पनिक पात्र हैं लेकिन इनके साकार स्वरुप दर्शन संसद और सभी विधानसभाओं में प्रत्यक्ष सुलभ हैं /दोनों में अंतर केवल इतना है कि वे खुद स्वप्न लोक की सैर करते हैं और ये माननीय सैर कराते हैं परंतु मुफ्त उपलब्धि दोनों की ही नहीं क्योंकि कॉमिक्स भी खरीदने पड़ते हैं और वोटों की भी अपनी कीमत है ?पौराणिक धार्मिक कथानकों के चलचित्र रूपांतरण में बहुधा कुछ पात्रों के मुख से निकलता अग्नि ज्वाला प्रवाह दर्शाया जाता है और अगर माननीयों के वक्तव्य सुनें तो इनके मुखारबिंद से भी ज्वाला निकलती प्रत्यक्ष न दिखे लेकिन इसकी तपिश आसानी से महसूस की जा सकती है /दक्षिण भारत में चित्रपट रँगमँच कलाकारों के प्रशंसक कलाकारों को ईश्वर स्वरुप मानकर इनकी मूर्तिपूजा तक करते देखे जाते हैं और इनके लिए प्राणार्पण तक करने से पीछे नहीं हटते और ऐसा ही तन मन धन समर्पण राजनीतिक कलाकारों के समर्थकों में भी सामान्य है /राजनीति और समाजसेवा एक दूसरे पर निर्भर भी है और समयानुसार एक दूसरे में परिवर्तन हो जाता है /तेनालीराम बीरबल चाणक्य ये वास्तविक पात्र होते हुए भी इनको पूछने वाला तक कोई नहीं ?प्राचीन,मध्य व आधुनिक भारत के संस्कृत एवं हिंदी “गद्य” और “काव्य” भारत की सांस्कृतिक साहित्यिक धरोहर हैं लेकिन शिक्षण पाठ्यक्रमों से इनको बाहर करके इनके स्थान पर राजनीतिक कलाकारों, क्रिकेटरों और फ़िल्मी कलाकारों की आत्मकथाएं पढ़ाई जाने लगी हैं/कोई राजनीति का भगवान् तो कोई क्रिकेट का भगवान् होकर महलों में पर असली भगवान् फटे तिरपाल के नीचे रहने को विवश ?वाह रे ! भारत ?

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