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रोचक ,सत्य और विचारणीय भी
डेन नेटवर्क के 302 चेनल ने दिनांक 11 नवम्बर को सायं प्राइम टाइम समय में एक गंभीर खुलासा किया कि गुजरात के एक अग्रणी अखबार ने सात महीने पहले ही गुजरातियों को दिवाली बाद ही 500 और 1000 रुपये के नोट बंद होने की खबर छाप दी थी और अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक का समय गुजरातियों को अपने काले धन को सही दंग से खपाने का मौका दिया गया /और चेनल के अनुसार जब अख़बार से पूछा गया तो उस अख़बार ने पहली अप्रैल फूल कहकर बात ख़त्म कर दी यानि देश के अखबार जनता को मूर्ख भी बनाते हैं / चलो यह बात गुजरात की हुई लेकिन इसी चेनल ने यूपी के भी एक सबसे बड़े प्रिंट मीडिया घराने पर आरोप लगाया कि अख़बार ने इसी 27 अक्टूबर को इन नोटों के बंद होने की खबर छाप दी थी और चेनल ने बाकायदा दोनों अख़बारों की समाचार छपी फोटो भी दर्शकों को दिखाई लेकिन लोकतंत्र के सूरमाओं को जैसे ही पता चला तो सामान्य जनमानस का ध्यान इन नोटों की बंद होने की खबर से हटाने के लिए बाकायदा इस अख़बार और व्यक्ति विशेष समर्थकों ने सोशल मीडिया से लेकर बैनर पोस्टरों पम्फ्लेटों से चीनी पटाखों और चीनी बिजली झालरों के बहिष्कार में उलझाये रखा / और सोशल मीडिया में पूरी दिवाली चीनी सामान के बहिष्कार का ही मुद्दा छाया रहा और जिन व्यापारियों को इन चीनी सामान से सम्बन्ध था उनका बंटाधार हो गया और लोगों को शायद यह ज्ञात न हो कि आतिशबाजी उद्योग में एक विशेष संप्रदाय का ही आधिपत्य है यानि चोट कहाँ करनी थी ? रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर की बेइज्जती से सभी वाकिफ हैं / और गौर करने वाली बात एक और भी है कि भाजपा एक बहुत वरिष्ठ नेता और बाद में राज्यसभा सांसद बने इसी नेता ने इसी मार्च अप्रैल में प्रेस संवाद में एक खुलासा किया था कि इसी साल नवम्बर दिसंबर में भारत की अर्थव्यवस्था में भूकंप जैसी स्थिति आ जायेगी और उन्होंने पिछली यूपीए सरकार और पूर्व रिजर्व बैंक गवर्नर तथा अमेरिकी वित्त व्यवस्था के रहस्मयी सम्बन्ध का उजागर भी किया था और उन्होंने तत्कालीन रिजर्व बैंक गवर्नर को तत्काल बर्खास्त तक करने की बात भी कही थी और वित्तमंत्री को लिखित प्रस्ताव भी भेजा था और उनके वित्तमंत्री के साथ परस्पर संबंधों के बारे में पूरा भारत जानता भी है / वर्तमान गवर्नर किस प्रान्त से हैं और देश के किस सबसे बड़े उद्योगपति के यहाँ नौकरी कर चुके हैं यह बात भी जानने योग्य है ? मजे की बात देखिये कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर रहस्मयी चुप्पी क्यों साधे हुए है यानि भाजपा के वरिष्ठ नेता के खुलासे पर मोहर लगती प्रतीत होती है / पीएम ने स्वयं देश को अवगत कराया कि आईडीएस योजना में पैंसठ हजार करोड़ रूपया आया और लोगों ने पीएम की इस बात पर ध्यान क्यों नही दिया कि इन्ही पीएम ने एक बात और भी कही कि जनधन योजना में गरीबों ने पैंतालीस हजार करोड़ रूपया जमा कराया / बात छोटी नही है क्योंकि आईडीएस योजना में 65 हजार करोड़ और गरीबों के खातों में 45 हजार करोड़ रुपये जबकि बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने इसी साल बिहार चुनावी सभाओं में इसी जनधन योजना पर पीएम को घेरते हुए कहा था कि जनधन योजना में जीरो बेलेन्स है और अगर लोगों को याद हो तो न्यूज चेनलों ने इसी जनधन योजना का स्टिंग आपरेशन दिखाया था जहाँ मात्र एक एक रूपया जमा करके खातों को निष्क्रिय से सक्रिय किया गया था यानि शून्य बेलेन्स से एक रूपया बेलेन्स किया गया और एक रूपया किसने जमा कराया कोई नही जानता लेकिन अब पीएम खुद कह रहे हैं कि जनधन योजना में 45 हजार करोड़ रूपया आ गया है / और जिन गरीबों का इतना पैसा जनधन खातों में जमा है वेही गरीब रोते बिलखते सुबह होते ही बैंकों के दरवाजों पर आकर लेट जाते हैं /जिन गरीबों को दस्तखत तक करने नही आते उनको रूपया नामक एटीएम कार्ड भी उपलब्ध कराया गया और अभी तक केवल रूपया जमा कराने के आंकड़े दिए गए हैं लेकिन जनधन खातों से रूपया निकालने का रहस्य शायद ही जनता को पता चले /8 नवम्बर की रात आठ बजे आर्थिक आपातकाल लागू करते हुए पीएम ने देशवासियों को अवगत कराया था कि 11 नंवबर से एटीएम से नई करेंसी का पैसा निकलना शुरू हो जायेगा और अब वित्तमंत्री कहते हैं कि गोपनीयता बनाये रखने के कारण एटीएम को आवश्यक रूप से तैयार नही किया गया था और अब इसमें दो तीन हफ्ते लग सकते हैं / भुखमरी बेरोजगरी बिमारी से लबालब देश में दो और तीन हफ़्तों के बीच में सात दिनों का समय अंतराल होता है और सात दिनों में जिंदगी !! खैर , और इतना समय क्यों दिया गया है यह स्वयं संदेह की परिचायक है और गोपनीयता कितनी रखी गयी यह तो चेनल के खुलासे से ही साबित हो जाता है /को पिछले पाँच दिन से भारत में जिंदगी ठहरी हुई है / दुकानदार खाली बैठे हुए हैं और कंस्ट्रंक्शन काम ठप्प हुआ पड़ा है यानि पाँच दिन से मजदूरों की आमदनी बंद /जहाँ पुताई आदि का काम भी चल रहा था वह भी बंद /बेबस गरीब शोषित पीड़ित पिछड़ी वंचित जनता जिसकी दुहाई लगभग सभी भाषणों में दी जाती है और जनधन योजना में 45 हजार करोड़ रूपया जमा कराने के बाद नही सड़क पर क्यों आ गयी है और बैंकों के दरवाजों पर धक्के खा रही है ? सौ रूपया का नोट हजार रुपिए के नोट से भी महंगा हो रहा है /स्कूलों की फीस भरना और ट्यूशन मास्टरों की फीस भरना माँ बापों के लिए चुनाती बन गया है /अस्त्पतालों में मरीजों का इलाज !!! सिनेमा हॉल खाली ,दिल्ली गाजियाबाद और नॉएडा के कई बड़े व्यापारियों ने अपने स्टाफ की छटनी शुरू कर दी है और इस महीने का पैसा उनको बड़े नोटों में ही दिया जायेगा यदि काम करना हो तो करो ,यह कह दिया गया / बड़े व्यापारियों ने अपने कर्मचारियों से कह दिया है उनका वेतन बैंक द्वारा ही मिलेगा लेकिन बेचारों के खाते ही नही खुल रहे हैं तो वेतन कहाँ पहुंचेगा और उधर जनधन योजना का ढिंढोरा पीटा जा रहा है ? यह तो निश्चित ही है कि मीडिया को 500 और 1000 नोट बंद होने की खबर थी और उनका पैसा ठिकाने लग चूका था /एक न्यूज चेनल पर 9 नवम्बर पर प्रतिबन्ध लगाने का फरमान जारी किया गया था और 7 नवम्बर को चेनल का मालिक केंद्रीय मंत्री से मिलता है और प्रतिबन्ध स्थगित हो जाता है और सरकार की जमकर रात दिन आलोचना करने वाला चेनल अचानक सरकार की निंदा करना बंद कर देता है /चेनल पर प्रतिबन्ध लगाने की तारिख बहुत कुछ बयान कर रही है जबकि लोकतंत्र के सूरमाओं को अगस्त 2014 में ही इस चेनल की कुछ गतिविधियों की लिखित शिकायत लखनऊ के पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों के संगठन ने की थी और कई रिमाइंडर भी भेजे लेकिन तब प्रतिबन्ध नही लगा और पठानकोट हमले के ग्यारह महीने बीत जाने के बाद सरकार को इस चेनल पर बैन करने की याद अचानक आ गयी और अचानक चेनल के नौ नवम्बर से सुर बदल गए / तर्क दिया जा रहा है कि बड़े नोट बंद होने से भ्रष्टाचार बंद हो जायेगा / लेकिन स्वर्ण धातु का साठ हजार रूपया प्रति दस ग्राम बिकना तो भ्रष्टाचार ख़त्म होने का संकेत नही देता / जो सरकारी कर्मचारी बिना घूस कोई काम करता ही नही और ऐसे में जब उसके खुद के पैसे इस दलदल में फंस गए तो अपना नुक्सान भरपाई करना तो उसका जन्मसिद्ध अधिकार है और कौन सा विभाग ऐसा है जहाँ घूसखोरी नही !!! मायावती मुलायम राहुल और केजरीवाल ने विरोध किया तो इस विरोध को राजनीती से प्रेरित और कालेधन का समर्थक कह कर वास्तविक बात से भटकाने का प्रयास किया जा रहा है /अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव और बड़े नोटों पर प्रतिबन्ध की तारीख का अपने में एक अनोखा रिश्ता दिखता प्रतीत होता है जो अभी शायद आसानी से समझ में नही आएगा / ट्रंप का कुछ दिन पहले जमकर एक भारतीय नेता की खुलकर तारीफ करना और हिन्दू धर्म का सम्मान करना और इससे पहले एक नेता को सात सितारा रॉकस्टार शो और वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति का भारत में व्यापारिक निवेश !!!! चुनाव सरकारी कोष से हो ,यह कोई नेता क्यों नही चाहता ? राजनीतिक दलों के खातों में जमा पैसा अगर गरीबों का दिया दान है तो इस धन को जब्त करके राष्ट्रीय कोष में जमा क्यों नहीं कराया जा सकता ताकि यह पैसा देश के विकास में खर्च हो सके ?बिना तैयारी किये हफड़ तफड़ में सामान्य मानवीय जीवन सड़क पर लाकर खड़ा करने के पीछे कोई बात अवश्य होगी क्योंकि इस तारीख का और अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से सम्बन्ध हो भी सकता है और नही भी ?? गरीबों बेबसों शोषितों वंचितों पीड़ितों के खातों में 45 हजार करोड़ रूपया जमा होने के बाबजूद भी इनका सडकों पर आ जाना कोई आसान बात नही और जो लोग इनको रोजगार देते हैं उनको ही बेईमान चोर कहकर उनके आजादी से लेकर अबतक की बघिया उघेड़ने की धमकी !!! सरकार मनरेगा योजना में 175 रूपया प्रतिदिन और वह भी साल में केवल सौ दिन रोजगार उपलब्ध कराती है और भारत के आद्योगिक व्यावसायिक घराने जिनको आज चोर कालाबाजारी और बेईमान बताया जा रहा है वे इनको मजदूरी में न्यूनतम चारसौ रूपया प्रतिदिन और वह भी पूरे साल देते हैं और यही पैसा इन तथाकथित बेबसों पीड़ितों शोषितों वंचितों के जनधन खातों में जमा हुआ है अगर ये चोर कालाबाजारी कालेधनकुबेर कहे जा रहे व्यापारी व्यवसायी उद्यगोपति इन गरीबों शोषितों पीड़ितों वंचितों दलितों पिछड़ों को रोजगार देना बंद कर देते हैं तो क्या सरकार के पास इतना सामर्थ्य है कि इनको रोजगार दे सके ?बात बहुत हुई ,कुछ समझ में आयी और कुछ ऊपर से निकल गयी !!!!!
रचना रस्तोगी
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