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भारत पर मंडराता संकट

bharat
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भारत पर मंडराता संकट
कोई भी पत्रकार या न्यूज चैनल राष्ट्रनिरपेक्ष कैसे हो सकता है ?पत्रकार व्यवसायिक व्यक्ति और न्यूज चैनल एक व्यवसायिक संस्था तो माने जा सकते हैं लेकिन राष्ट्रनिरपेक्ष नहीं हो सकते ?आज भारत के स्वाभिमान और स्वंत्रतता दोनों पर गम्भीर संकट मंडरा रहा है जिसका आंकलन करना परम आवश्यक है /130 करोड़ जनसँख्या अपनी रोजी रोटी चलाने के लिये दिन रात मेहनत करती है लेकिन 130 करोड़ आबादी को सारे विधायक और सारे सांसद जोड़कर कुल साढ़े आठ हजार माननीय बंधुआ मजदूरों की तरह हांकते हैं /यह भारत की एकता और अखंडता का प्रमाण है कि उन्तीस प्रांतों और छ केंद्र शासित राज्यों में विभाजित होकर भी भारत एक अखण्ड लोकतांत्रिक स्वतंत्र राष्ट्र है /केजरीवाल भी एक महानगर नगरनिगम जैसी संस्था समान एक टेरिटरी के ही मुख्यमंत्री हैं लेकिन उनके कुछ मित्र पत्रकार और विदेशी संगठन उनमे ऐसी कौन सी योग्यता दक्षता या क्षमता आँक रहे हैं कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भारत के संघीय ढांचे में ढले उन्तीस स्वतंत्र राज्यों और छह केंद्र शासित राज्यों में बंटे 130 करोड़ लोगों की सामूहिक सामाजिक आर्थिक व्यवसायिक और धार्मिक समस्याओं को गौण करके केवल केजरीवाल पर ही अपना ध्यान केंद्रित किये हुए हैं /न्यूज चैनलों का औसतन तीन चौथाई समय केजरीवाल की ही गाथा प्रसारित करने में व्यतीत होता है /भारत के राष्ट्रपति महोदय और मुख्यन्यायधीश को देश में जानबूझकर फैलाई जा रही अराजकता और देश के संघीय ढांचे को अस्थिर करने की साजिश पर स्वतः संज्ञान लेकर भारत सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय को आवश्यक दिशा निर्देश देने चाहिये क्योंकि अगर केजरीवाल की ही तर्ज पर देश के सभी प्रांतों और केंद्र शासित टेरिटरियों के सीएम बाकायदा एक प्रेस कान्फरेन्स करके अपने मन की बात के बहाने खुल्लमखुल्ला पीएम के विरुद्ध गालीगलौच करने लगेंगे तो देश का विकास तो दूर बल्कि जल्दी ही गृहयुद्ध के हालात पैदा हो जायेंगे / केजरीवाल ने दिल्ली के सीएम और भारत सरकार के पीएम बीच भारत पाकिस्तान जैसा रिश्ता बताकर देश के संविधान और संवैधानिक संस्थाओं का अपमान किया है जिसपर देशवासियों को विचार करना ही होगा ?इस संकट का समाधान अगर समय रहते नहीं किया सोचा गया तो यह संकट देश में सांप्रदायिक और राजनीतिक सामाजिक आर्थिक सारे समझौतों को तार तार कर देगा क्योंकि इतिहास गवाह रहा है कि विदेशी शक्तियों ने भारत के ही कुछ शासकों को प्रलोभन देकर देश की एकता अखंडता को खंडित किया था और फिर भारत 1200 वर्ष गुलाम रहा /एक अकेला व्यक्ति इतने सारे न्यूज चैनलों और कुछ न्यूज एंकरों को एक साथ एकजुट नहीं कर सकता और तो यह निश्चित है कि कोई न कोई विदेशी शक्ति इस पूरे समागम का वित्तीय भार वहन कर रही है /छोटे से छोटे अख़बार में भी किसी खबर को चलवाने के लिए स्थानीय पत्रकारों को येन केन प्रकारेण खुश करना होता है जबकि यहाँ तो राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारण हो रहा है /अपने को स्वतंत्र पत्रकार कहने वाले टकले आप पार्टी के प्रवक्ता के रूप में काम करते हैं /पड़ौसी देश से भी केजरीवाल का स्वागत निमंत्रण आना और पापिस्तान के उच्चायुक्त के सम्मान में भोज देना अपने आप में बहुत कुछ कहता है /इसलिये मुख्यन्याधीश और राष्ट्रपति महोदय को संज्ञान लेकर उच्च स्तरीय जाँच बैठाना राष्ट्रहित नहीं बल्कि प्राथमिक राष्ट्रधर्म है /समय बहुत तेजी से बदल रहा है इसलिए षड्यंत्र को समय रहते पर्दाफाश न किया तो परिणाम गम्भीर होंगे जिसका खामियाजा कहीं एक बार फिर गुलामी ?

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