Menu
blogid : 4811 postid : 1195730

स्वस्थ लोकतंत्र पर् खतरा

bharat
bharat
  • 178 Posts
  • 240 Comments

स्वस्थ लोकतंत्र पर् खतरा
130 करोड़ जनता किसी नेता को क्या देशभक्ति का सर्टिफिकेट बांटने के लिए चुनती है ?एक न्यूज चेनल पार् रघुराम राजन को देशभक्त का सर्टिफिकेट देते हुए यह भी बता देते कि देशभक्ति का मानक और पैमाने क्या हैं ? लाखों करोड़ों रुपयों का सालाना पकेज पा रहे और ऊपर से अपने को सेवक दास अादी अलंकारों से विभूषित करते विधायक ,सांसद, मंत्री, पीएम भी क्या अपने दायित्व का शतप्रतिशत निर्वाह कर रहे हैं ?जितना वेतन ये माननीय हर महीने पाते हैं उतना तो इनके परिवार ने जिंदगी भर भी इनकम टेक्स नही दिया होगा क्योंकि इनका वेतन अायकर मुक्त है /अगर जनता से राय मांगते हो यह कैसे संभव है कि देश की 130 करोड़ जनता केवल वही सुझाव या राय देगी जो पीएम को सुहाये यानि सुझाव चाहे पसंद अायें या न अायें ,सरकार की नीतियों की प्रशंसा हो या अालोचना ,पीएम को स्वीकार करनी ही पड़ेंगी और अगर पार्टी का ही कोई मेंबर यदि कोई सलाह या सीख दे रहा हो तो तानाशाही दिखाते हुए उस अालोचना या सीख या सलाह को यह कहकर कैसे खारिज कर सकते हैं कि कोई भी अपने को पार्टी से ऊपर न समझे तो यह नियम पीएम पर् भी तो लागू होता है /वातानुकूलित कमरों मे बैठकर गरीबों शोषितों पीड़ितों वंचितों के हित की नीतियाँ नही बन सकतीं / देश की नब्भे प्रतिशत जनता सरकारी नीतियों और सरकारी बाबुओं के शोषण से त्रस्त है और मोदी कह रहे हैं कि उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार का कोई अारोप नही है जबकि हकीकत यही है कि हर सरकारी विभाग मे रिश्वत का तांडव होता है तो इसे मोदी परस्पर प्रेम अाभार का अादान प्रदान या प्रेम से दी गयी बख़्शीश कहेंगे अगर विभाग मे रिश्वतखोरी हो रही है तो मंत्री भ्रष्टाचार से अछूता कैसे रह सकता है ?सुब्रह्मणियम स्वामी कोई अारोप नही बल्कि एक सत्य परत तथ्य देश के सामने रख रहे हैं और अगर बात कांग्रेसी नेताओं संबंधित हो तो स्वामी ठीक और बात सरकार संबंधित हो तो स्वामी अनुशासनहीन हो जाते हैं /यही वे स्वामी जिन्होंने कांग्रेस के घोटाले खोले थे और इन्ही स्वामी के कारण राहुल सोनिया जमानत पर् बाहर हैं तब भाजपाई कह रहे थे कि स्वामी कोई भी बात निराधार नही कहते हैं उनके पास् प्रमाण होते हैं तभी कोई बात कहते हैं जबकि वर्तमन वित्तमंत्री तब भी राज्यसभा मे भाजपा के विपक्ष के नेता थे लेकिन एक बार भी किसी घोटाले पर् बहस नही की तो संदेश यही जाता है कि पक्ष विपक्ष की सहमति है लेकिन जब सरकार के निर्णयों की अलोचना होती है तो स्वीकार करने के बजाय स्वामी को अनुशासन का पाठ पढ़ा दिया गया और स्वामी की बातें निराधार हो जाती हैं /क्या स्वामी नही जानते हैं कि गलत बात बोलने पर् मानहानि का मुकदमा हो सकता है ?लेकिन अपनी गलती सुधारने के बजाय स्वामी की ही बोलती बंद करना स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा संदेश नही है
रचना रस्तोगी

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh