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भाषण के प्रसारण का प्रायोजक ढूंढना होगा

bharat
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भारत में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया किसी भी साधारण व्यक्ति को हीरो और महत्वपूर्ण व्यक्तित्व को जीरो बनाने में पूर्णतः सक्षम है / दिल्ली पुलिस ने जेएनयू के अध्यक्ष कन्हैय्या कुमार को देशविरोधी अभियान चलाने के आरोप में हवालात में बंद किया था और अपने सबूत में एक न्यूज चैनल की 9 फ़रवरी की रिकॉर्डिंग हाई कोर्ट में पेश की थी जिसे अदालत ने नकारा भी नही और नाहीं उस रिकॉर्डिंग को मिश्रित या डॉक्टर्ड बताया यानि दिल्ली पुलिस अपनी बात को सही ढंग से अदालत के सामने नही रख पायी जिसका लाभ लेकर कुटिल सिब्बल ने कन्हैया कुमार को आखिरकार जेल से बाहर निकलवा ही लिया और इसी कन्हैय्या कुमार ने रात को दस बजे जेनएयू में अपना आधा घंटा का भाषण हिंदी में दिया /सोचने वाली बात यह है कि देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के बाबजूद दिल्ली हाई कोर्ट से सशर्त जमानत पर छूटे जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैय्या कुमार के भाषण का सजीव प्रसारण करके इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आखिरकार देश की जनता को क्या सन्देश चाहता है ? यह बहुत गंभीर तथ्य ही नही बल्कि सघन जांच का विषय भी है कि जो मीडिया अपने हर घण्टे के समाचारों के लिये भी प्रायोजक ढूढता है लेकिन वही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया उस यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ अध्यक्ष के भाषण सजीव प्रसारण करता है जिसपर दिल्ली हाई कोर्ट ने बहुत सख्त तल्ख़ टिपण्णियां की हैं तो इस प्रसारण का प्रायोजक कौन था ?कन्हैय्या कुमार के भाषण में जिन शब्दों और व्यंगों का प्रयोग हुआ था उसकी पटकथा निश्चित रूप से किसी राजनेता और राजनीतिक पार्टी से प्रायोजक थी ? केरल ,पंजाब ,असम और बंगाल के चुनावों के मद्दे नजर यह भाषण बहुत कुछ समझाने के लिये पर्याप्त है क्योंकि इसमें कोई संदेह नही रहना चाहिये कि कन्हैय्या कुमार का राजनीतिक प्रयोग होना निश्चित है /आजकल राजनीति एड गुरु प्रशांत किशोर बहुत सुर्ख़ियों में हैं / कहा जाता है कि मोदी को पीएम और नितीश कुमार को सीएम जनता ने नही बल्कि प्रशांत किशोर ने बनाया है इसलिए कांग्रेस कुंवरजी भी इन्ही प्रशांत किशोर जी की शरण में पहुँच गए हैं अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कुंवरजी यूपी विधान सभा चुनाव बाद यूपी के सीएम के पद की जगह कहीं यूपी के पीएम पद की शपथ ग्रहण न करलें / लेकिन कन्हैय्या कुमार के 3 मार्च के उद्घोष की भाषण शैली और नीतीश कुमार की बिहार चुनावों में प्रयोग भाषा शैली में बहुत कुछ समानताएं हैं / समानता उनकी बिहार जन्मभूमि नही बल्कि भाषण शैली है / बेगुसराय में जन्मे कन्हैय्या कुमार एक कम्युनिस्ट हैं और लाल सलाम करते हैं लेकिन भाषण में लालसलाम नही बल्कि देशबदनाम समाहित था / यानि कन्हैय्या कुमार के भाषण की पटकथा निश्चित रूप से प्रशांत किशोर की ओर इंगित करती है और जाँच एजेंसियों को यह अवश्य पता लगाना चाहिए कि जेल के भीतर और जेल से बाहर आने के बाद कन्हैय्या कुमार किन किन महापुरुषों के संपर्क में रहा ?कुंवरजी ,केजवरीवाल ,ममता बनर्जी और नीतीश कुमार का कन्हैय्या कुमार प्रेम पंजाब बंगाल असम केरल के चुनावों में अपना प्रभाव अवश्य देखने को मिलेगा और संभवतः यही कन्हैय्या कुमार छात्र युवाओं को दिग्भ्रमित करने में आप कांग्रेस टीएमसी और कम्युनिस्टों की मदद भी करता दिखे तो कोई अतिशयोक्ति न होगी ?
रचना रस्तोगी

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