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मीडिया की लक्ष्मण रेखा भी तय हो
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महबूबा मुफ़्ती का कथन एक दम तथ्यपरक एवं सत्य है कि सीमा पार और सीमा के भीतर पनप रहे आतंकियों को भड़काने में मीडिया एंकर ही जिम्मेदार हैं / जिस प्रकार के स्लोगन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया टीवी स्क्रीन पर चलाये जा रहे हैं उनसे दुश्मनों की भावनाएं भड़कती ही हैं और खास तौर पर वे न्यूज दिखाई जा रहीं हैं जिनसे मुसलमानों में हिन्दुओं के प्रति रोष एवं क्रोध बढ़ता है / साध्वी निरंजना का बयान मीडिया में आईबीएन चैनल की बदौलत सुर्ख़ियों में आया और परिणाम स्वरुप पूरे सप्ताह संसद ठप्प रही /ममता के बयान पर इलेक्ट्रॉनिक चैनलों ने यह कहा कि इतना गन्दा था इसलिए दिखाया नही / हाजमख़ाँ ओवैसी बुखारी और दिल्ली के शोएब के बयान क्यों नही सुनाये दिखाए जाते ?रामपाल और आसाराम का सीरियल तो मीडिया में खूब चला लेकिन तरुण तेजपाल ,मदेरणा ,अभिषेक मनु सिंघवी ,राहुल गांधी पर कोई बहस नही हुई / सोनिया गांधी और नेहरू की फोटुएं सोशल मीडिया पर तो खूब चलती हैं लेकिन कभी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की स्क्रीन पर क्यों नही ?हरियाणा की दो लड़कियों को पहले इसी मीडिया ने हीरो बनाया लेकिन जब सच्चाई सामने आई तो हरियाणा सरकार को पुरुस्कार रोकना पड़ा / पाकिस्तान की ओर से हुई बमबारी पर यही मीडिया एंकर माईक कभी मनीष तिवारी के मुँह में घुसेड़ देते हैं तो कभी लालू के तो कभी सलमान खुर्शीद के लेकिन ये सब भी खूब चुस्कियां लेकर मीडिया में अपनी फोटो दिखाते हैं /साध्वी ने हरामजादे शब्द प्रयोग किया तो इसे अमर्यादित और असंवैधानिक शब्द बताकर संसद ठप्प लेकिन जब उमर अब्दुल्ला ने अपनी चुनावी रैली में बास्टर्ड शब्द कई बार बोला तो वह संवैधानिक और सेकुलर शब्द हो गया ?यानि हिंदी में बोला गया हरामजादे शब्द असंवैधानिक होता है और अंग्रेजी में बास्टर्ड संवैधानिक होता है /छत्तीसगढ़ में सैनिकों के कपडे जूते कूड़े के ढेर में मिले तो छत्तीसगढ़ सरकार दोषी हो गयी जबकि सैनिकों के कपडे से लेकर मृत शरीर तक सेना की संपत्ति होती है / डॉ राजेश तलवार की बेटी का हत्याकांड पूरे 55 दिन का सीरियल के रूप में दिखाया गया लेकिन शशि थरूर की पत्नी सुननंदा का सीरियल क्यों नही ? मीडिया में हिन्दू नेताओं के स्टिंग ऑपरेशन तो खूब दिखाए लेकिन कभी सोनिया गांधी के विदेश दौरे पर कोई बहस नही की ?कभी सोनिया का स्टिंग नही किया कि वह किस बीमारी से पीड़ित है और कहाँ इलाज हुआ और क्यों आईजीआई अड्डे पर सीसीटीवी बंद किये गए ? गुजरात के साहेब का स्टिंग ऑपेरशन करने वाले खोजी पत्रकार ने कभी अमेठी में राहुल के निवास की भी जानकारी लेनी चाही ?मोदी की झाड़ू का तो मजाक उड़ाया लेकिन राहुल गांधी जब सिर पर प्लास्टिक की खाली टोकरी लेकर घूम रहा था तब इस मीडिया को वह खाली टोकरी दिखाई नही दी ?यादव सिंह एक दो दिन तो स्क्रीन पर दिखे लेकिन सेकुलर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने कभी यह नही पूछा कि हिसार के बाबा रामपाल का इतना भव्य आलिशान महलनुमा आश्रम किस मुख्यमंत्री और किस विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष की कृपा से बना,क्या यह संभव है कि बिना सरकारी कृपा के भवन की चारदीवारी 50 फिट ऊंची बन जाय लेकिन जब मीडिया के कर्मियों की सर्विस हुई तो मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँच गया / प्रधान मंत्री आदर्श ग्राम योजना में बीजेपी नेताओं के गोद लिए गावों में यह बताया जा रहा है कि इनमे मुस्लिम आबादी नही है लेकिन राहुल और सोनिया मुलायम ओवैसी के गावों के बारे में क्यों नही बताते ? मीडिया बताता है कि मोदी ने सौ दिन में काला धन वापिस लाने का वादा किया था लेकिन बीजेपी का ही नहीं बल्कि सभी पार्टियों का मेनिफेस्टो तो मीडिया के समक्ष ही प्रस्तुत होता है तो मीडिया उस मेनिफेस्टो को दर्शकों को क्यों नही दिखाता जिसमे लिखा हो कि मोदी ने सौ दिन में काला धन वापिस लाने का वादा किया था अगर ऐसा हुआ होता तो आज सेकुलर नेता और यही मीडिया सुप्रीम कोर्ट में मोदी के विरुद्ध मुकदमा दायर कर चूका होता ?इसलिए मीडिया की स्वतंत्रता वास्तव में देशहित में कम और देश विरोधी गतिविधियों में अधिक प्रयोग हो रही है / इसलिए अब सभी सांसदों और विधायकों को एक साथ मिलबैठकर मीडिया की भी लक्ष्मण रेखा निर्धारित करनी ही पड़ेगी वर्ना ब्रेकिंग न्यूज के सहारे कभी भी देश में सांप्रदायिक सद्भाव और सोहार्द्य बिगड़ सकता है /
रचना रस्तोगी
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