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अपराध और उत्तरप्रदेश

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अपराध और उत्तरप्रदेश
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पिछले 25 महीनों की यूपी की कानून व्यवस्था को देखने के बाद तो ऐसा लगता है कि क्या अराजकता असभ्यता अश्लीलता ही कहीं यूपी की पहचान तो नही बन गयी है ?यूपी सरकार एक एक महीने में प्रमुख सचिव स्तर के पदाधिकारियों का स्थानातंरण ताश के पत्तों के फेंटने की तरह कर रही है जिस कारण यूपी की कानून व्यवस्था तो बहुत बड़ी बात यूपी में तो प्रशासनिक नियंत्रण या प्रशासनिक व्यवस्था भी चरमरा गई है /जब तक किसी अधिकारी को अपने विभाग का काम समझ में आता है तब तक उसका ट्रांसफर हो जाता है यही कारण है कि आरटीआई कानून की धज्जियाँ यूपी में खुले आम उड़ रही हैं /अगर कोई शोषित पीड़ित या वंचित किसी अधिकारी से न्याय मांगने की गुहार लगाता भी है तो प्रार्थना पत्र देकर आता है लेकिन जब अपनी प्रार्थना या अपील पर कार्यवाही की प्रगति जानने कार्यलय पहुँचता है तो ज्ञात होता है कि अधिकारी का ट्रांसफर हो गया है अतः अब नए तरीके से दुबारा अपील करनी होगी / यूपी में अन्तर्विभागीय कोर्डिनेशन लगभग लगभग शून्य है यह तो मायावती सरकार कार्यकाल में आम जनता को महात्मा गांधी की फोटो का सही प्रयोग करना आ गया था वर्ना इस समय बहुत बुरी स्थिति होती क्योंकि मायावती कार्यकाल में लोगों का काम रिश्वत देकर तो हो जाता था लेकिन अब तो रिश्वत के साथ साथ किसी यादव कार्यकर्ता या फिर अल्पसंख्यक संप्रदाय के किसी विशेष व्यक्ति की सिफारिश भी अनिवार्य है यानि एक काम कराने की दो दो जगह रिश्वत ! यूपी के 78 जिलों की स्थिति एक जैसी है कि विभागीय उच्च अधिकारी से लेकर चपरासी को अपनी तैनाती स्थान पर मिली कुर्सी पर ढूंढना किसी साधक को भगवान के ढूंढने जैसा है /एक बार को मंदिर में भगवान न भी मिलें लेकिन उनका विग्रह तो दिखता है लेकिन यूपी के सरकारी कार्यलयों में अधिकारी तो नही मिलते लेकिन महात्मा गांधी की फोटो जड़ा फ्रेम जरूर दिख जाता है जो शायद यही सन्देश देता है कि रिश्वत दे ! नालेना पाप है जबकि पीड़ित शोषित याची फ़रमाता है कि महाशय मुहावरा यह है कि “रिश्वत देना लेना पाप है “/ तो अधिकारी यही समझाता है कि गांधीजी की फोटो से कुछ सीखो कि महात्मा गांधी को कोई भी संवैधानिक पद नही मिला था और कहने को तो वे राष्ट्रपिता हैं लेकिन संविधान में इस पद का नातो कोई सृजन है और नाहीं कानूनन महात्मा गांधी राष्ट्रपिता ही हैं लेकिन भारतीय मुद्रा पर उनकी मुस्कराती फोटो छापी जाती है ताकि रिश्वत आदान प्रदान में गांधी प्रसन्न दिखें लेकिन सरकारी कार्यालय में आते आते गांधीजी के हाथ में डंडा आ जाता है और गांधी गंभीर होकर यही सन्देश देते हैं कि जिस जिस कार्यालय में पब्लिक डीलिंग होती है या न्याय व्यवस्था का सिस्टम है वहां उनकी फोटो छपे नोटों से कार्य सुलभ होने की गारंटी है वर्ना यह डंडा बाकि शेष समझाने में पर्याप्त है /ईमानदारी और सदाचार महामंदिर के महामंडलेश्वर महामहिम श्री श्री १००८ श्रीमान अन्ना हजारे कभी सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखते थे तो कभी मनमोहन सिंह को जबकि इन दोनों को मराठी भाषण नही आती थी और सत्यवान अन्ना हजारे को न हिंदी आती है और न अंग्रेजी आती है तो पत्राचार का माध्यम आखिर कौन सी भाषा थी लेकिन पता नही सद्चरित्र अन्ना हजारे को 16 मई के बाद से न कहीं अनशन करते देखा गया और नाहीं मोदीजी से पत्राचार करते सुना गया यानि इसका अर्थ यही हुआ कि यतो अब भारत के सारे अधिकारी और नेता ईमानदार हो गए है और रामराज्य स्थापित हो गया है याफिर अन्ना हजारे में भारत में ईमानदार सरकार होने की आशा ही छोड़ दी है / अपने चुनाव प्रचार में मोदीजी ने सपा सुप्रीमो और उनके सुपुत्र की बहुत आराम से खिल्ली तो उड़ाई लेकिन क्या कारण है कि यूपी में व्यापत व्यापक अराजकता को देखने परखने के बाद भी यूपी सरकार अभी तक बर्खास्त नही हुई है / पीएम मोदीजी का स्टाफ यातो यूपी के अख़बारों की सुर्खियाँ मोदीजी को बताता नही है याफिर मोदी सरकार का गृहमंत्री इन खबरों पर विश्वास नही करता क्योंकि यूपी का शायद ही अब कोई ऐसा शहर या परगना होगा जहाँ प्रतिदिन कोई जघन्य अपराध न होता हो और अपराधों पर नियंत्रण करने के बजाय सपा सुप्रीमो अपने सुपुत्र का बचाव करते हुए यह बयान देता है कि यूपी की जनसँख्या 21 करोड़ है लेकिन संसद में बैठे माननीयों को इजरायल का गाजा पर हमला ज्यादा दुःख देता हैं नाकि लखनऊ में एक सवर्ण हिन्दू विधवा स्त्री का बलात्कार और उसकी निर्मम हत्या दुःख देती है / बुद्धिजीवी वर्ग पीड़ित विधवा हिन्दू महिला का नग्न फोटो सोशल मीडिया पर डालकर अपने को महाराणा प्रताप समझता है इनको ऐसे चित्र पोस्ट करते समय नातो लज्जा आई और नाहीं इनको कोई करुण संवदेना हुई कि ये कर क्या रहे हैं /भारतीय नारि की आबरू पर हमला इन माननीयों की दृष्टि कुछ नही बल्कि गाजा पर हमला ज्यादा महत्वपूर्ण है तभी तो गाजा हमले पर बहस ज्यादा आवश्यक है भले ही भारतीय जनमानस कीड़े मकोड़े की तरह मरता रहे / पता नही देश आने वाले दिनों में क्या क्या देखेगा ?
रचना रस्तोगी

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