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फेसबुक और ट्विटर वाली सरकार

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फेसबुक और ट्विटर वाली सरकार
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मोदी सरकार को केंद्र की सत्ता संभाले हुए 50 दिन से भी अधिक हो चुके हैं लेकिन अभी तक भी सरकार सामाजिक और जनसाधारण से जुड़े मुद्दों पर गंभीर नही है / इलेक्ट्रॉनिक न्यूज चैनल केवल यही सन्देश देते हैं कि आज अमुक विषय पर इतने मंत्रियों की गंभीर मीटिंग है या अमुक दिन को अमुक विषय पर मीटिंग होगी लेकिन आज तक किसी भी मीटिंग का कोई अंतिम निर्णय नही निकला / महंगाई पर केंद्रीय वित्त मंत्री और केंद्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्री की अध्यक्षता में 29 राज्यों के खाद्य आपूर्ति मंत्रियों की बैठक में यही निर्णय हुआ कि जमाखोरी पर लगाम लगनी चाहिए और मिलावट करने वालों को गैरजमानती वारंट देकर गिरफ्तार करना चाहिए लेकिन करेगा कौन इसका कोई जबाब नही / आलू प्याज और अन्य खाद्य पदार्थों के दाम हर बारह घंटों में बढ़ रहे हैं और सरकार जमाखोरों को कब पकड़ेगी इसका कोई जबाब नही ?सबसे पहले यही बताया गया था कि प्रत्येक मंत्री सौ दिन का अपने विभाग का कार्य एजेंडा प्रस्तुत करेगा और सौ दिनों में पूरा करने का प्रयास करेगा लेकिन 50 दिन पूरे भी हो गए लेकिन आजतक न एजेंडे का पता चला और नाहीं एजेंडे पर कार्य कितना हुआ इसका ही कोई अता पता ? मोदी जी ने अपने सभी मंत्रियों को ट्विटर और फेस बुक द्वारा जन सामान्य से जुड़े रहने का सन्देश या आदेश दिया हुआ है और खुद भी मोदीजी यही कर भी रहे हैं लेकिन यह व्यवहार केवल एक पक्षीय ही है क्योंकि मंत्री तो सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी बात कहकर चुप हो जायेगा लेकिन जनता की किसी बात पर कोई उत्तर नही मिलेगा ? मोदीजी स्वयं यह बताने का कष्ट करें कि वे स्वयं दिन में कई बार ट्वीट करते हैं और फेस बुक पर अपना सन्देश भी डालते हैं जिनको लाईक करने वाले लाखों की संख्या में तो अवश्य हैं लेकिन क्या कभी मोदीजी या उनके पीए इन लाखों अनुयायियों में से किसी एक के भी प्रश्न या जिज्ञासा या आपत्ति पर कोई प्रतिक्रिया या उत्तर दिया ?सरकार बनाने से पहले मोदीजी दहाड़ दहाड़ कर मन मोहन सिंह ,सोनिया गांधी ,राहुल गांधी ,और यूपी के मुलायम और अखिलेश यादव को जीभरकर कोस रहे थे ,उनके लिए भ्रष्टाचार महंगाई और बेरोजगारी एक चुनावी मुद्दा था लेकिन 50 दिन बीत जाने पर महंगाई बढ़ गयी अब इसके लिए मानसून को जिम्मेदार ठहराया जाय या जमाखोरों को लेकिन मध्यम वर्गीय आमजन की कमर टूट गयी है और अभी तक एक भी भ्रष्ट अधिकारी या नेता या भ्रष्ट एनजीओ गिरफ्तार नही हुआ है/ यूपी की कानून व्यवस्था एक विशेष संप्रदाय के ही हित साधने में समर्पित है यानि यूपी में हिन्दू लगभग उसी स्थिति में होने जा रहा है जैसा कि इराक में शिया मुसलमान / रेलयात्री किराया बढ़ाना इतना कष्टदायक नही जितना कि रेल माल भाड़ा बढ़ाना नुकसान दायक सिद्ध होगा क्योंकि 6.5 % वृद्धि महंगाई को और बढ़ाएगी लेकिन सरकार समझती है कि सरकारी कर्मचारी का महंगाई भत्ता बढ़ाने से महंगाई की मार कम हो जाएगी तो सरकार की बुद्धि पर तरस आता है क्योंकि सरकारी कर्मचारी को रिश्वत ही वास्तविक आय दिखती है और वेतन सीधे सीधे बैंक खाते में जाता है और बैंक खाते से पैसा निकालना कर्मचारी को बर्दाश्त कहाँ क्योंकि यह बैंक बैलेंस तो उसके बुरे वक़्त में उसके काम आएगा और वर्तमान खर्च से पार पाना रिश्वत की जिम्मेदारी है / अगर सरकारी ईमानदारी से अपने वेतन से ही अपनी आजीवका चला रहा होता तो छठे वेतन आयोग के लागू होने के बाद तो भारत में रामराज्य स्थापित हो जाना चाहिए था क्योंकि अब नए भर्ती हुए चपरासी को भी पंद्रह हजार रूपया मासिक वेतन मिलता है और यूपी में तो चपरासी से लेकर पीसीएस पदों तक की भर्ती में रिश्वत और जातीय दबाब काम करता है / यूपी पब्लिक सर्विस आयोग को तो अब यादव आयोग कहा जाने लगा है क्योंकि पिछले दो वर्षों से यादव समाज की तो लॉटरी लगी हुई है / सामान्य मध्यम जाति और वर्ग को मोदी सरकार से आशाएं इसीलिए बंधी कि मोदीजी ने जनता से वादा किया था कि सरकार बनते ही भ्रष्ट नेता और भष्ट अधिकारी जेल में होंगे लेकिन सच्चाई यही है कि पिछले पंद्रह दिनों से रिश्वत का ग्राफ और आयाम दोनों ही बढ़ा है / एक जुलाई से सारे प्राइवेट डाक्टरों ,वकीलों ,नर्सिंग होमों , चाटर्ड एकाउटेंटों ,प्राइवेट स्कूलों,प्राइवेट तकनीकी एवं मेडिकल शिक्षा संस्थानों की फीस बढ़ गयी है / अब यदि इसी बेतहाशा महंगाई वृद्धि को मोदीजी विकास मानते हैं तो बात अलग है / माँ वैष्णों देवी जिसने जाना है वह जायेगा ही अब ट्रेन से जाये या बस से , उसके लिए माँ वैष्णों देवी महत्वपूर्ण हैं नाकि यात्रा लक्जरी / यूपी की विधान सभा में प्राइवेट मेडिकल कोलिजों में यूजी पीजी पाठ्यक्रमों में डोनेशन और प्रवेश प्रक्रिया पर जमकर लूटखसोट का मुद्दा उठा लेकिन केंद्रीय स्वास्थय मंत्री का इस ज्वलंत मुद्दे पर मौन बने रहना संशय उत्पन्न करता है क्योंकि प्राइवेट मेडिकल व डेंटल कोलिजों को मान्यता देने की संस्तुति करने वाले मेडिकल डेंटल काउन्सिल केंद्रीय स्वास्थय मंत्रालय के अधीन हैं और अंतिम मान्यता केंद स्वास्थय मंत्रीजी के हस्ताक्षर के बाद ही मिलती है /मेडिकल यूजी एक करोड़ और पीजी तीन करोड़ की पड़ती है और यह गोरखधंधा पिछले दस वर्षों से बदस्तूर जारी है और इसका आयाम टू जी और कोयले घोटाले से भी बड़ा है और मंत्रीजी स्वयं भी इस सत्य से अवगत है तो क्यों नही एक एसआईटी गठित करके इस गोरखधंधे का पर्दाफाश करते लेकिन कर नही सकते क्योंकि प्राइवेट मैनेजमेंट तो इन्ही माननीयों का है और कई भ्रष्ट ब्यूरोक्रेट का काला धन इन संस्थानों में लगा हुआ है और येही एसआईटी के सदस्य भी होंगे तो ऐसी स्थिति में सत्ता कोई भी संभाले ,भ्रष्टाचार महंगाई और बेरोजगारी ये तीनों राक्षस अमर रहेंगे अतः मंत्री फेसबुक या ट्विटर पर है या नही इससे फर्क नही पड़ेगा यह तो सिर्फ सरकार समर्थकों की ईगो शांत करने भर का ड्रामा है / जनता को तो काम खुद ही दिख जायेगा दिखाने की जरुरत ही कहाँ पड़ेगी ?
रचना रस्तोगी

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