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दिन अच्छे आने वाले हैं या बुरे

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दिन अच्छे आने वाले हैं या बुरे
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आजकल एक नारा बहुत गाया सुनाया जा रहा है कि अच्छे दिन आने वाले हैं लेकिन किसके आने वाले हैं इसपर कोई बहस नही करता ?हिन्दुओं की मानसिकता का आंकलन खुद हिन्दुओं की करनी से समझा जा सकता है ?भारत में पहले ब्राह्मण राजाओं का शासन था जिसको गैरब्राह्मण राजाओं ने चुनौती दी थी और ब्राह्मण राजाओं को अपने बल पौरुष धन शक्ति सेना पर बहुत गर्व था लेकिन जब ब्राह्मण राजाओं को चुनौतियाँ मिली और पराजय मिलने लगी तो इन्ही ब्राह्मण राजाओं ने विरोधी गैरब्राह्मण हिन्दू राजाओं को पराजित करने के लिए बाहरी विदेशी क्रूर आततायी मुग़लों को भारत आमंत्रित किया और उसके बाद ये मुग़ल ऐसे घुसे कि आज भी भारत की समस्या बने हुए हैं /मुग़लकालीन भारत के हिन्दुओं को अपना जीवन बचाने के लिए सुन्नी बनना पड़ा था या फिर मरना पड़ा और इतिहास प्रमाणित करता है कि उस समय मुग़लों के चमचे हिन्दू ही हिन्दू बनकर रह सके थे यानि हिन्दुओं का जीवन मुग़लों के रहमोकरम पर था / सरकारी आंकड़ों में 2011 में भारत की जनसँख्या 120 करोड़ थी जिसमे मुस्लमान 43 करोड़ थे और अब अनुमान लगाया गया है कि 2014 में भारत की जनसँख्या 130 करोड़ है और मुस्लमान लगभग 47 करोड़ हैं और हिन्दू 70 करोड़ हैं / 2019 में मुस्लमान और हिन्दू लगभग लगभग बराबर होंगे यानि अब खुद समझ सकते हैं कि भारतीय संविधान लोकपाल आईपीसी सीबीआई सीवीसी पुलिस कानून आदि सबकी वेलिडिटी अब केवल पांच वर्ष ही रह गयी है क्योंकि 2019 के बाद इन कानूनों की कोई प्रासंगिकता न रहने वाली होगी और तब भारत में शरीयत कानून लागु होगा ?आज हिन्दू नेता स्वयं को धर्मनिरपेक्ष कहकर मुस्लिम पुष्टिकरण और तुष्टिकरण को राजनैतिक विजय का आधार तो बना जरूर रहे हैं लेकिन येही मुस्लिम पुष्टिकरण नीति इनके लिए प्राण घातक सिद्ध होगी क्योंकि इतिहास गवाह है कि मुसलमानों ने राजगद्दी हथियाने के लिए अपने सगे बाप तक का क़त्ल किया हुआ है तो भला ये सेकुलर हिन्दुओं को क्यों बख्शेंगे ?आजमखान शीघ्र ही सपा में विद्रोह करेगा और मुलायम सिंह के मुस्लिम वोट बैंक को कब्जाकर बाप बेटे दोनों को राजगद्दी से चलता करेगा / यही हाल सभी राजनीतिक दलों का होगा /नीतीश लालू ममता जितने भी आज अपने को मुस्लिम हिमायती बनकर हिन्दुओं का सार्वजानिक अपमान कर रहे हैं उनको शीघ्र ही अपनी करनी का प्रतिफल मिलेगा लेकिन अफ़सोस इसी बात का होगा कि वे चाहकर भी अपनी पीड़ा का अहसास नही करा सकेंगे ? अगर मोदी सत्ता में आते हैं तो भारत के इस्लामीकरण की योजना पांच साल और आगे यानि 2024 तक खिसक जाएगी और यदि नही आते हैं तो इसी वर्ष से इस योजना का अंतिम स्वरुप दिया जाना शुरू हो जायेगा और संभव है कि 2019 में भारत इस्लामिक गणतंत्र घोषित भी होने के कगार पर भी हो और विरोध होने पर भीषण रक्तपात होगा / जिस प्रकार मुस्लिम नेता और सेकुलर हिन्दू नेता भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र मोदी पर अभद्र अश्लील और अमर्यादित शब्दों का प्रयोग करके अमरीकी चीनी पाकिस्तानी बंगलदेशी ब्रिटिश मीडिया को प्रसन्न कर रहे हैं और इनका भाषण सुनती सेकुलर हिन्दू जनता ताली बजाकर इनका स्वागत और प्रोत्साहन कर रही हैं बस कुछ दिन ही बाद सबसे पहले इनकी ही गर्दन कटेगी और तब इनके बच्चे यही कहेंगे कि वाह ! क्या अच्छे दिन आ गए हैं / मायावती कहती है कि अगर मोदी सता में आ गए तो आरक्षण व्यवस्था ख़त्म हो जाएगी लेकिन अगर मोदी सत्ता में नही आये तो क्या आरक्षण बचेगा ?अगर मोदी सता में आते हैं तो भी पांच साल तक आरक्षण पर कोई विवाद खड़ा नही हो सकता क्योंकि रामविलास पासवान और दिल्ली में डॉ अरुण कुमार ऐसा नही होने देंगे लेकिन अगर मोदी सता में नही आये तो पांच साल बाद जब भारत इस्लामिक गणतंत्र घोषित हो जायेगा तो किसको आरक्षण और वह भी क्यों मिलेगा ? यूपी में जब जाटों पर सपा सरकार अत्याचार करती है तब उनको भाजपा याद आती है लेकिन जब वोट डालना होता है तो रालोद याद आता है /रालोद मुखिया भाजपा के सहारे पिछले चुनाव में जीतकर संसद पंहुचा लेकिन लालबत्ती की चाह ने उसको कांग्रेस की गोद में बिठा दिया यह रालोद मुखिया का अपने मित्र दल के साथ आचरण रहा है / अभी भी दो चरण के चुनाव शेष हैं जो हिन्दुओं का भाग्य निर्धारित कर सकते हैं लेकिन दो हिन्दू धर्मगुरु स्वरूपानंद शंकराचार्य और अजोक्षनंद शंकराचार्य नरेंद्र मोदी का विरोध राजनैतिक स्वार्थपूर्ति हेतु कर रहे हैं लेकिन हिन्दू इनसे क्यों नही पूछते कि जब केदारनाथ त्रासदी में हजारों हिन्दू मौत के ग्रास बन गए और लाखों उत्तराखंडी हिन्दू भयंकर बाढ़ और भूस्खलन के कारण विस्थापित हो गए थे तब ये दोनों कहाँ मर गए थे ?इन दोनों संडमुसण्ड राजनीतिक बाबाओं का रखरखाव हिन्दू शिष्यों के ही धन से पोषित है और हिन्दुओं के दिए दान से ही इनका धंधा चलता है और इनकी मोटी चमड़ी पर चढ़ा चन्दन और भगवा कपडा हिन्दुओं के ही दान से परिपोषित है तो क्या इनदोनों की नैतिक जिम्मेदारी नही बनती थी कि हिन्दुओं से दान में मिले धन से उत्तराखंड पीड़ितों की कुछ आर्थिक और सामाजिक सहायता कर देते ?क्या किसी मीडिया कर्मी ने यह जानने की कोशिश की कि उत्तराखंड त्रासदी पीड़ित किस हाल में हैं ?एक वर्ष पूरा बीतने को आया ,गर्मी सर्दी बरसात ने उनका जीवन और बदहाल कर दिया है न रहने को घर और न खाने को अन्न ,और फिर भी शंकराचार्य कांग्रेस की दलाली करते हैं और मोदी सम्बंधित प्रश्न पूछने पर पत्रकार की पिटाई करते हैं और पत्रकार पिटने के बाबजूद कांग्रेस की चाटुकारिता करना ही पत्रकारिता धर्म मानते हैं / हिन्दू भारत छोड़कर कहाँ जायेगा ?हिन्दू को भारत में जिंदगी गुजरना विवशता है क्योंकि हिन्दू विश्व में अल्पसंख्यक होने के बाबजूद तिरस्कृत है लेकिन मुसलमान विश्व की सबसे बड़ी आबादी होने के बाबजूद अल्पसंख्यक कहे जाते हैं /इन सब परिस्थितयों की गहन अध्यन के बाद एक गंभीर प्रश्न अवश्य उठता है कि हिन्दुओं के दिन अच्छे आने वाले हैं या बुरे ?नरेंद्र मोदी कहते हैं कि देश को संकट से उबारने के लिए जनता उनको केवल साठ महीने ही देदे तो वे चौकीदार बनकर देश की सेवा करेंगे लेकिन राहुल गांधी कहते हैं कि देश को एक चौकीदार नही चाहिए बल्कि वे तो सारे 125 करोड़ लोगों को ही चौकीदार की नौकरी देंगे लेकिन इन 125 करोड़ लोगों को कोई वेतन भी मिलेगा या नही इसका कोई जिक्र नही और राहुल गांधी किस अधिकार से 125 करोड़ नियुक्ति पत्र जारी करेंगे ?और इन 125 करोड़ों में राहुल गांधी क्यों न शामिल हों ?इन नेताओं ने राजनीति एक व्यापार बनाकर रख दिया है जहाँ कहीं बाप बेटे ,तो कहीं माँ बेटे तो कहीं पति पत्नी एक साथ मिलकर सत्ता सुख भोगते हैं और हिन्दुओं को चौकीदार की भूमिका और मुसलमानों को अधिकारी की भूमिका में रखना चाहते हैं तो भाई ! यह तो पूछा जा ही सकता है कि आने वाले दिन किसके अच्छे और किसके बुरे सिद्ध होंगे ?
रचना रस्तोगी

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