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बँटवारा देश का या देशवासियों का
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देश में चुनाव का माहोल बनते ही सारे राजनीतिक दलों के लुभावनी प्रलोभवनी व्यंजन और हृदयभेदी तीर तरकश से बाहर निकलकर भारतीय जनमानस के ह्रदय को कहीं उतावला तो कहीं घायल करके जनमानस को यह सोचने को विवश कर देते हैं कि क्या ये दल देश को बाँट रहे हैं या देशवासियों को ?कांग्रेस का इतिहास भले ही 126 वर्ष पुराना हो लेकिन इसका जनक विदेशी अंग्रेज था और आज इसी समय में भी इस राजनीतिक कंपनी की कमान एक विदेशी अंग्रेज महिला के हाथ में ही है जिसकी आज सत्ता भी है तो प्रश्न यही कि क्या भारत स्वतंत्र हुआ और क्या भारतवासी स्वतंत्र हुए ?सन सैंतालीस में भारत विभाजन की जिम्मेदार केवल दो ही राजनीतिक कम्पनियाँ थी जिसमे कांग्रेस और मुस्लिम लीग का नाम इतिहास में दर्ज है / भारत में कांग्रेस का अभी भी शासन है लेकिन मुस्लिम लीग का विभाजन सपा बसपा जदयू रालोद राजद आप टीएमसी एनसीपी भाकपा माकपा और एलजेपी में हो गया है और कई छोटे समूहों में खंडित इस मुस्लिम लीग को स्वतंत्र भारत में थर्ड फ्रंट या फैडरल फ्रंट नामांकित किया गया है जबकि मूल में यह मुस्लिम लीग ही है क्योंकि पुरानी मुस्लिम लीग का नायक जिन्ना भले ही पाकिस्तान चला गया था लेकिन अपनी नीतियां यहीं छोड़ गया था जिसको आगे लेजाने का जिम्मा इन्ही दलों का है और इसी वर्त्तमान मुस्लिम लीग के नायक होने की जंग छिड़ी हुई है और इसी नायक पद के चयन के लिए मुस्लिम लीग के ये सारे घटक अपने अपने दल की ज्यादा से ज्यादा सीटें पाने को मुसलमानों को खरीदने में लगे हैं /जनता को मूर्ख बनाने के लिए कांग्रेस और मुस्लिम लीग कभी अपना नाम यूपीए 1 तो कभी यूपीए 2 रख लेते हैं लेकिन मूल में तो हिंदुओं का दमन ही प्राथमिकता है /मजे की बात देखिये कि जनता को हिन्दू मुस्लिम या अन्य जातियों में बांटकर राजनीति करने वाले अपने को सेक्युलर बताते हैं और राष्ट्रवादियों को सांप्रदायिक शक्ति बताकर उनसे राष्ट्र को ख़तरा बताते हैं /जिन जिन राज्यों में इन मुस्लिम लीग के घटकों की सरकारें नही हैं तो वहाँ के निवासी तो सांप्रदायिक हो गये तो भारत में दो प्रकार के राज्य हैं एक साम्प्रदायिक और दुसरे सेक्युलर राज्य यानि भारत का विभाजन हुआ ही है / वर्त्तमान मुस्लिम लीग या यूँ कहें थर्ड या फेडरल फ्रंट और कांग्रेस मिलकर भारत में दो वर्गों में बांटना चाह रहे हैं पहला अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक और दूसरा वर्ग है गरीब और अमीर /भारत का पीएम कहता है कि देश के सारे प्राकृतिक संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है और सपा मुखिया कहता है कि देश का विकास केवल मुसलमानों ने किया है /टीएमसी तो यह कहती है कि मुसलमानों को सर्वाधिकार सुरक्षित करने के लिए संविधान संशोधन होना चाहिए और जदयू इन्डियन मुज्जहिद्दीन का राजनेतिक सरंक्षक बनी हुई है /अपराधियों का शरणगाह बना उत्तरप्रदेश का मुख्यमंत्री कहता है कि जनता का पैसा जनता का लौटा रहे हैं लेकिन कोई बुद्धिजीवी नही पूछता कि जिस जनता को सरकारी धन बाँट रहे हो उस वर्ग से कितना राजस्व प्राप्त हुआ है यानि हिंदुओं के दिए टेक्स को मुसलमानों में सब्सिडी या मुआवजा में बांटना ही राजनीति हो गयी है /सब्सिडी मुआवजा रोजी रोटी बनकर या रोजगार का विकल्प बन गया है /मनरेगा में भ्रष्टाचार की रकम संख्या जब निकेलगी तब जाकर पता चलेगा कि टेक्स दाताओं के साथ कितना बड़ा धोखा हुआ है /कांग्रेस की एक पूर्व मुख्यमंत्री का बेटा सेटअप बॉक्स का कारोबार करता है तो केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय ने डिजिटल टीवी प्रसारण के नाम पर सेटअप बॉक्स लगवाना अनिवार्य कर दिया और बमुश्किल सौ रुपये कीमत वाले इस चायनीज सेटअप बॉक्स को जनता ने 1200 /- बारहसौ रुपये में खरीदने को मजबूर होना पड़ा /ऊपर से प्रतिमाह न्यूनतम किराया भी दो सौ रूपया देकर जनता को टीवी विज्ञापन ही नही बल्कि टीवी न्यूज चेनल एंकरों की फूहड़ बहस भी सुनना मजबूरी है अगर जनता को भोंडे विज्ञापन देखना या फूहड़ बहस सुनना मजबूरी है तो केबिल प्रसारण कंपनी को प्रतिमाह किराया नही वसूलना चाहिए था लेकिन जनता बेचारी किस्से से शिकायत करे ?चुनावी माहोल गर्म है इस खातिर मुस्लिम लीग के सारे घटक हर सम्भव तरीके से हिंदुओं के मनोबल को तोड़ने में लगे हैं और उनके इस अभियान में कुछ लोग झाड़ू छाप पहनकर आजादी की दूसरी लड़ाई की बात करते हैं कोई उनसे पूछे कि कि किस्से आजादी चाहते हैं तो कहते हैं कांग्रेस से लेकिन जब सरकार बनाने की बात आये तो आम आदमी का साथ कांग्रेस के हाथ से मिलकर सौदेबाजी होती है यानि जिसके गुलाम उसके साथ ही सत्ता सुख भोगना राजनीति है / तो कुछ लाल टोपी पहनकर साईकिल पर सवार होकर भैंसों के सिर पर लालबत्ती लगाने को आमादा हैं /अपने को दूसरा गांधी कहने वाला एक फ़कीर का रहस्य आज भी एक किसी अजूबे से कम नही क्योंकि कहने तो यह फ़कीर रालेगण सिद्धि के मंदिर में रहता है लेकिन घूमता हवाई जहाजों या लक्जरी कारों में है और खुद को फ़कीर बताने वाला अपना इलाज भारत के सबसे महंगे कारपोरेट हॉस्पिटल मेदांता में कराता है और वह भी मुफ्त में जबकि वहाँ किसी गरीब की तो एन्ट्री भी नही है और तो और दिल्ली निवास के दौरान महाराष्ट्र महाराष्ट्र भवन का मेहमान बनता है लेकिन यह भी मुस्लिम लीग के एक घटक की नायिका को ही भारत का पीएम देखना चाहता है जहाँ कि आये दिन स्त्रियों के साथ बलात्कार हो रहा है/इसी दुसरे गांधी का शिष्य उद्योगपतियों को भ्रष्टाचारी सिद्ध करने और उनपर मुक़दमा दर्ज करने पर आमादा है और इस दुसरे गांधी का शिष्य भारत के सुप्रसिद्ध उद्योगपतियों की राजनेताओं से साठ गांठ बताता है लेकिन इसी सन्दर्भ में यह कभी नही बताता कि भारत के पहले गांधी यानि मोहन दास गांधी का घनश्याम दास बिड़ला के साथ क्या सम्बन्ध थे ?जबकि पूरा देश जानता है कि उद्योगपति बिड़ला इसी गांधी का राजनीतिक स्पॉन्सर था और जिस दिन गांधी की हत्या हुई उस दिन भी गांधी बिड़ला भवन में ही टिका हुआ था ?यानि पहले गांधी और तत्कालीन राजनीतिज्ञों के उद्योगपतियों के साथ सम्बन्ध नैतिक थे लेकिन आज के राजनीतिज्ञों के वर्त्तमान उद्योगपतियों के साथ सम्बन्ध अनैतिक ही नही बल्कि राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में हैं /भारत में बेरोजगारी की समस्या से कौन अनभिज्ञ है ?अगर इन्ही मुस्लिम लीग के घटकों के द्वारा भारत के अग्रणी शीर्ष उद्योगपतियों पर इसी तरह निशाना साधा गया तो भारत में बेरोजगारी की समस्या ही गृहयुद्ध करा देगी क्योंकि भारत में सामान्य वर्ग को रोजगार ही नहीं बल्कि उच्च तकनीकी शिक्षा तक भी येही उद्योगपति सुलभ और उपलब्ध करा रहे हैं /सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा संस्थानों में जातिगत आरक्षण से प्रतिभा योग्यता दक्षता का जो निरंतर अपमान हो रहा है उसमे थोडा सा मलहम यही उद्योगपति शिक्षा व् रोजगार देकर लगाते हैं अगर अमेरिका के दबाब में आकर इन मुस्लिम लीग के घटक दलों के उपद्रव से तंग आकर भारतीय उद्योगपतियों ने भारत से पलायन शुरू कर दिया तो भारत में रोजगार कौन देगा ? जिस टीएमसी की वकालत दूसरा गांधी कर रहा है इसी के कारण उद्योगपति टाटा को वेस्ट बंगाल से बिस्तरा बोरिया समेटना पड़ा था /पहले गांधी ने हड़ताल सिखायी तो दुसरे ने अनशन सिखाया और पहले गांधी की हड़ताल से देश को कांग्रेस मिली और दुसरे गांधी का प्रसाद दिल्ली की जनता ने अभी चखा ही है जिसने दिल्लीवासियों का 49 दिन जीना हराम कर दिया क्योंकि 24 घंटे में 22 घंटे सारे न्यूज चेनल केवल इसी अराजक असभ्य पार्टी को ही दिखाने को पत्रकारिता माने हुए थे / पूरे देश में क्या हो रहा है इससे कोई मतलब नही क्योंकि न्यूज चेनल स्वामियों को कोई न कोई तो अभूतपूर्व आर्थिक सहयोग कर ही रहा होगा ,जो न्यूज चेनल एक सेकण्ड का समय भी बिना प्रायोजक नही दिखाते सुनाते वे भला 24 में 22 घण्टे मुफ्त में क्यों किसी का गुणगान करेंगे ?मूल प्रश्न यही है कि ये कांग्रेस और वर्त्तमान मुस्लिम लीग के ये सारे घटक दल एक राष्ट्रवादी पार्टी पर देश तोड़ने और देश को बांटने का आरोप इसी लिए तो लगाते हैं क्योंकि कुछ हिन्दू बेचारे अपनी सुरक्षा के लिए और देश सुरक्षा के लिए इस राष्ट्रवादी पार्टी को वोट देदेते हैं लेकिन इन तथाकथित सेकुलर हिंदुओं को भारत में हिंदुओं का स्वतंत्र रहना अखरता है इसलिए हिंदुओं से जबरन टेक्स वसूलना और उस टेक्स को मुसलमानों में बांटना ही सेक्युलरिज्म है /इस घोर अनर्थ से देश बँट रहा है या देशवासी बँट रहे हैं इसका निर्णय तो करना ही पड़ेगा जो मैं पाठकों पर छोड़ती हूँ/
रचना रस्तोगी
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