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गलती हो गयी माफ़ करदो !!

bharat
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” जिसको बनाके भेजा नेता ! वो दलाल हो गये ,
हमने ही दी थी वोट ! हम ही हलाल हो गये ,
हम तो हो गये कंगाल ! वो माला माल हो गये,
वो तो बन गये अब राजा ! हम बेहाल हो गये,”

श्री राहुल गाँधी ने अपनी जनसभा में उत्तरप्रदेश की सरकार को “दलालों की सरकार” कह तो दिया परन्तु बोलते समय यह ध्यान नही रखा कि वे और उनकी माताजी दोनों ही यूपी की ही जनता द्वारा ही लोकसभा में भेजे गये हैं / कम से कम नेताओं को अपनी भाषा पर तो नियंत्रण रखना चाहिये कि वे जनता के सामने ही जनता द्वारा चयनित दूसरे लोकतांत्रिक लोकप्रिय जनप्रतिनिधियों को “दलाल” कह रहे हैं और दूसरी तरफ खुद भी इसी काम में लगे हुए हैं / दूसरे के घरों पर पत्थर फेंकने से पहले सोचा चाहिये कोई हमारे घर पर भी पत्थर फेंक सकता है / सन २००४ से दलाली का लोकतांत्रिक मार्ग शुरू क्या हुआ कि आज तक बदस्तूर जारी है और इस दलाली का सबसे बड़ा सबूत तो स्वयं माननीय सुप्रीमकोर्ट है जहाँ वर्तमान में इन “राजनेतिक दलालों” के ही मुक़दमे चल रहे हैं,जिनमे दलाली की रकम कोई दस बीस हजार नही बल्कि इतने हजार करोड़ों रुपियों की है/ जहाँ देखो दलाली ही है तो लोकतांत्रिक परिवेश में मूल प्रश्न यह है कि जनता ने “दलाल’ चुने या फिर “नेता” ? अगर यूपी की जनता ने विधानसभा में दलाल भेजे है तो उसी जनता ने लोकसभा में भी दलाल ही भेजे होंगे / आखिर जनता तो वही है जिसने विधायक चुने और सांसद भी ,और दोनों ही सफ़ेद कपड़े पहनते हैं,दोनों ही जनता की सेवा करने का राष्ट्र से पूरा हर्जाना भी वसूलते हैं,वर्तमान में ही नही बल्कि चुनाव हार जाने के बाद भी और जीवनपर्यंत इस सेवा का आजीवन हर्जाना वसूलना उनका संविधानिक अधिकार है ,ज्यादा राष्ट्रसेवा करने पर राष्ट्रीय सम्मान एवं राष्टीय खर्चे पर अंतिम क्रियाकर्म तक का इनका संविधानिक अधिकार है,और अधिक राष्ट्रसेवा करने पर राष्टीय खर्चे पर मृत्युपरांत समाधि तक बनवाने का संविधानिक अधिकार रखने वाले नेताजी को जनता ने क्या “दलाल” के रूप में चुना था “जनसेवक” के रूप में,आखिर यह प्रश्न अब जनता के सामने मूंहबाये खड़ा है,आखिर मीडिया को अब ऐसे नेताओं को कभी युवराज,कभी ईमानदार,कभी धरती पुत्र,कभी क्रान्तिपुरुष,आदि उपाधियों से नवाजने के साथ साथ इनके द्वारा अर्जित दलाली की रकम को भी जनता के सामने रखना चाहिये ताकि यूपी की जनता पर दुबारा “दलाल” चुनने का आरोप ना लगे/ खैर अब गलती हो ही चुकी है शायद ,सांसद महोदय ! माफ़ करदेंगे,और पेट्रोल डीजल,गेस पर बढ़ाई कीमतों को कम करा देंगे ,राष्ट्र में स्त्रियों की रक्षा हेतु विशेष अधिनियम बनवायेंगे,और तो और शायद अपने वेतन और भत्ते भी कम करवाएंगे क्योंकि देश में आर्थिक घोटालों की वजह से बहुत नुक्सान हुआ है और गरीबी भी बहुत बढ़ गयी है,अपने घर के ऐसी आदि भी उतरवा कर केवल पंखे में ही सोयेंगे,कार से यात्रा बंद करके अब लोकल बस या लोकल ट्रेन में सफ़र करेंगे,अपनी सुरक्षा पर लगे सिक्योरिटी गार्डों का भी हटवाएंगे ,क्योंकि ये देश के नवयुवक नेता हैं और भारत के भाग्य विधाता भी है इसलिये अब ये एक नया अध्याय शुरू करके देश को ईमानदारी की नई दिशा दिखाएँगे/कर्त्तव्य परायणता और कर्तव्यनिष्ठा से ओत प्रोत ये नेता अब भारत को दलाली से मुक्त करवाकर देश में रोजगारी का नया आयाम शुरू करेंगे,और सरकारी कर्मचारियों को भी काम करने की मतलब बिना रिश्वत के काम करने की प्रेरणा देंगे और रिश्वत आय को आयकर की सीमा में लाने का प्रयास भी करेंगे ताकि स्वामीरामदेव का कालाधन का आरोप भी समाप्त हो जाय और अन्ना की भी टायंटायं फिस/// जय भारत और जय भारत के नेताजी

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