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जन लोकपाल बिल मायिने “चोर ही चोरी की सजा तय करें”

bharat
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आज देश का दुर्भाग्य देखिये कि कुछ कर्मठ कर्तव्यनिस्ठ मेहनती राष्ट्रभक्तों को भ्रष्ट राजनेतिज्ञों से ही राजनीति में भ्रष्टाचार और सरकारी कर्मचारियों से सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार और तो और भ्रष्ट मंत्रियों से ही मंत्रालय में व्याप्त भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिये एक सशक्त लोकपाल बिल बनाने के लिये अपील करनी पड़ रही है/ किसी ने बहुत सुन्दर प्रश्न किया कि “यह जन लोकपाल बिल क्या है” ?उत्तर स्पष्ट था कि जनलोकपाल बिल का अर्थ है कि चोरों को ही तय करना है कि चोरी करने की क्या सजा तय की जाय ? परन्तु “अन्ना” तो कहते हैं कि इससे भ्रष्टाचार समाप्त हो जायेगा / सपने देखने का सबको पूरा पूरा हक़ है परन्तु यह लोकपाल बिल बनाएगा कौन ? “अन्ना” के हाथ में तो है नही बिल बनाना ,जिनके हाथ में है वे क्या बेवकूफ हैं कि जो जानबूझकर अपनी मौत का सामान तैयार करेंगे /राजनीति में कब क्या हो जाय कोई नही जानता ,जो आज एक अमुक पार्टी से मंत्री है परन्तु सत्ता जाते ही किसी भी दूसरे दल में शामिल हो जायेगा / आज बहुत से ऐसे सांसद हैं जो बेपेंदी के लोटे हैं कभी इस पार्टी में कभी दूसरी पार्टी में,यहाँ तक कि गिरगिट को रंग बदलने में देर लग सकती है परन्तु नेता को पार्टी बदलने में नही/ विपक्ष को भी यह उम्मीद रहती है कि हो सकता है कि अगले आने वाले पांच साल राज करने के लिये उनको भी भगवान देदें /हर व्यक्ति मनमोहनसिंह जैसा भाग्यशाली तो नही हो सकता जिसको कि प्रधानमंत्री का पद थाली में परोस कर दिया जाय/हर सांसद प्रधानमंत्री नही तो कम से कम प्रमुखमंत्री तो बनने की उम्मीद रखता ही है, इसीलिए तो चुनाव ही लड़ता है उसका उद्देश्य देश सेवा था ही कब ? जब उसका उद्देश्य ही सत्ता से धन कमाना था और स्विस बेंकों में अन्दर जाकर थोड़ी देर बैठना था ,तो वह लोकपाल बिल बनवा कर क्या अपनी अर्थी खुद ही तैयार करेगा ? बिहार में अगर नीतीश की सरकार है तो उनकी विजय में कांग्रेस पार्टी के घोटाले भी हैं/ पश्चिम बंगाल में अगर ममता की सरकार है तो उनकी विजय गाथा में उन्नहत्तर नक्सली भी हैं,जिनके सामने मारे डर के कोई क्या जीतता / इसीलिए लोकपाल बिल का मसौदा कुछ भी तैयार करलो,परन्तु इसको बनाने वाले इतने बेवकूफ नही हैं जितनी जनता सोच रही है / जब वर्तमान राष्ट्रपति का ही चुनाव होना था तब भी बहुत सी बातें कही गयी थीं,परन्तु हुआ क्या सबको पता है / जन लोकपाल बिल बनाना जनता के हाथ में है परन्तु कब जब अपनी वोट का सही प्रयोग करें,क्षेत्रवाद धर्म जाति सम्प्रदाय में बंटा वोटर ही भ्रष्टाचार का असली कारण है/ शरद पंवार जी को ही देखलो ,उनकी खुद की चीनी की मिलें हैं इसलिये क्या चीनी सस्ती हो सकती है ? बस ऐसे ही अन्य और भी कलाकार हैं,जो आज भारत का भाग्य विधाता बने हुए हैं,मानव संसाधन मंत्रीजी जिनको टेलीफोन की कोई जानकारी नही फिर भी दूरसंचार मंत्री हैं,गुलाम नबी को देखलें किसी रोगी को देखने कभी गये हों पश्चमी उत्तर प्रदेश में पिछले वर्ष भयंकर डेंगू हुआ था कभी किसी रोगी से मिलने गये,रोग की ऐबीसीडी पता नही परन्तु हैं स्वास्थ्य मंत्री,इन्होने प्राईवेट डेंटल और मेडिकल कोलिजों को खोलने की खुले आम मान्यता बांटी,अब ये लोग क्या लोकपाल बिल का समर्थन करेंगे?इसलिये फिलहाल पक्ष हो या विपक्ष, यह बिल आसानी से पास होने वाला नही/ खैर उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री से ही पूछ लीजिये,उनको इस समिति में ही पहले दलित चाहिये था,लोकपाल बिल गया भाड़ में/ अस्तु ! लोकपाल बिल का भविष्य ऐसे ही है कि लोग मंदिर में या ज्योतिषी के पास अपनी मृत्यु की तारिख जानने जायें / हाँ, अगर जनता चाहिती है कि लोकपाल बिल पास हो तब जनता को आन्दोलन करना पड़ेगा,सड़क पर उतरना पड़ेगा,रामदेव जैसा स्वागत के लिये तैयार रहना होगा,वरना मुश्किल है / लेख लिखने से या भाषण देने से भ्रष्टाचार समाप्त नही होने वाला,रिश्वत नही देने की स्थति में अपना नुक्सान सहने की क्षमता अगर नही है तो भ्रष्टाचार से मुकाबला नही कर सकते/
रचना रस्तोगी

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