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अगर राष्ट्रपति ! इच्छा मृत्यु की अपील स्वीकार करलें,तब ?

bharat
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केन्द्रीय सरकार की वादा खिलाफी और बढ़ती महंगाई से त्रस्त होकर एक भाजपा सांसद ने राष्ट्रपति के समक्ष राष्ट्रहित में इच्छा मृत्यु की याचना की है/ अगर वास्तव में सांसद महोदय ,वर्तमान कुव्यवस्था से इस कदर त्रस्त हैं तो राष्ट्रपति को उनकी याचना सशर्त स्वीकार कर ही लेनी चाहिये,कि अगर उनकी याचना स्वीकार करली जाती है ती दुबारा इस पर किसी भी सूरत में विचार नही किया जायेगा / क्योंकि आत्महत्या करना तो अपराध है परन्तु राष्ट्रहित में प्राण त्यागना निसंदेह बलिदान है/ ऐसे शूरवीरों को इच्छा मृत्यु का वरदान मिलना ही चाहिये और शौर्य चक्र से भी सम्मानित करना चाहिये क्योंकि मरना तो आखिर एक दिन है ही, क्यों ना देश की खातिर प्राण न्योछावर किये जायें,ऐसे लोग ही शहीद कहे जातें हैं जिनमे देश के खातिर प्राण न्योछावर करने का जज्बा होता है / अब राष्ट्रपति के सामने केवल दो ही विकल्प शेष हैं यातो उनकी याचना स्वीकारेंगी या अस्वीकरेंगी,दोनों ही स्थिति में भाजपा सांसद क्या करेंगे? सिस्टम से लड़ने के बजाय सांसद महोदय,कायरता के मार्ग को क्यों अपनाना चाह रहे हैं? यातो यह शुद्ध पब्लिसिटी का स्टंट है या फिर वास्तविकता में वे कुव्यवस्था से अत्यंत दुखी हैं/ अगर उन्होंने मृत्यु के विकल्प को चुनने का ठान ही लिया है तो सड़क से लेकर संसद तक जबरदस्त अनशन करें ताकि भ्रष्टाचार की चूल तक हिल जायें,आज हर व्यक्ति भ्रष्टाचार से त्रस्त है,ऐसा नही है कि जनता ही त्रस्त है,नेता भी हैं क्योंकि पार्टी आलाकमान भी टिकेट पैसे लेकर ही देता है/ सांसद का सड़क पर अनशन करना उसका संविधानिक अधिकार भी है क्योंकि वह चयनित जनप्रतिनिधि है,ऐसा करने से कांग्रेस पार्टी की भी बोलती बंद हो जायेगी क्योंकि “अन्ना” और “रामदेव” के अनशन को वे इसलिये ही दबाना चाह रही है क्योंकि वे चयनित जनप्रतिनिधि नही हैं/अगर सांसद महोदय, पार्टी,सत्ता और लोकप्रियता का मोह त्यागकर सड़क पर पैदल चलकर लोगों के बीच जाकर शुद्ध नीयत एवं ईमानदारी से भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई लड़ेंगे तो मेरा यह मानना है कि उनके साथ लाखों लोग खड़े मिलेंगे,बस शर्त यही होनी चाहिये कि सत्ता और लोकप्रियता का लालच ना हो/ अब अगर वे ऐसा नही करते हैं तो यही माना जायेगा कि वे सस्ती लोकप्रियता पाने को लोगों को ठग रहे हैं,जनता तो वैसे ही ठगी जा रही है,सांसद को जनता का मजाक नही उडाना चाहिये/
रचना रस्तोगी

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