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किसी जमाने में लखनऊ अपनी नजाकत के लिये जाना जाता था / तहजीब वहाँ की थी ही कुछ ऐसी कि लोग बिना तारीफ किये बगैर रह ही नही सकते थे/ अगर कुछ खाने पीने की बात चलती थी,या किसी को सम्मान देने की बात चलती थी या मजाक में कहूँ अगर लिफ्ट भी देने की बात चलती थी,वहाँ लोग यही कहते थे “साहब ! पहले आप “/ लखनऊ से लोगों ने कुछ सीखा हो या नो परन्तु इतना तो अवश्य सीखा कि कहीं दान देना हो,कहीं मोर्चे पर जाना हो,कहीं रिश्वत देनी पड़े,कहीं किसी की सहायता करनी,कहीं किसी को मदद करनी हो,या अब अगर भ्रष्टाचार से भो लड़ना हो तो ज्यादातर भारतीय यही कहेंगे कि “साहब ! पहले आप” / अगर रिश्वत लेनी हो,किसी से मदद लेनी हो या दान लेना हो तो “पहले मैं !पहले मैं”! हो जाएगा / कितनी शर्म की बात है कि अगर आज “अन्ना हजारे” को देश में एक सौ इक्कीस करोड़ लोगों में से केवल चार व्यक्ति मिले जो उसके साथ कन्धा से कन्धा मिलाकर सड़क पर चल रहे हैं / हालांकि हजारों लोग उनकी आवाज पर इकट्ठा तो जरुर होते हैं पर यह संगठन बस थोड़े समय के लिये होता है/ एक सौ बीस लाख सरकारी कर्मचारी और पाच सौ तिरालीस लोक सभा के सांसद और उसके बाद बचे राज्य सभा के सांसद और विधान सभा के विधायकों के अलावा सभी लोग देश को भ्रष्टाचार मुक्त देखना पसंद करेंगे/ कुल मिलाकर देखा जाय तो मात्र एक सौ इक्कीस लाख लोग भ्रष्टाचार के समर्थक हैं और एक सौ बीस करोड़ निन्यानवे लाख लोग भ्रष्टाचार के विरुद्ध /परन्तु ये एक सौ इक्कीस लाख लोग एक सौ बीस करोड़ निन्यानवे लाख लोगों पर भारी पड़ रहे हैं, जानते हैं क्यों क्योंकि ये एक सौ इक्कीस लाख लोग संगठित हैं और इन एक सौ इक्कीस लाख लोगों ने एक सौ बीस करोड़ निन्यानवे लाख लोगों को धर्म जाति सम्प्रदाय क्षेत्र में बाँट रखा है इस कारण ये एक सौ बीस करोड़ निन्यानवे लाख लोग संगठित नही हैं /यानी एक प्रतिशत से भी कम लोग निन्यानवे प्रतिशत से ज्यादा लोगों पर भारी हैं,कारण बस लड़े कौन ? साहब पहले आप !,भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाये कौन ?पहले आप !,,अन्याय के खिलाफ बोले कौन ? साहब पहले आप !, अगर देश को भ्रष्टाचार से मुक्त कराना है तो कुछ तो कुर्बानी देनी ही पड़ेगी/ यह राष्ट्र कोई एक दिन में आजाद नही हो गया था / महात्मा गाँधी के सिर सेहरा बंधा परन्तु नींव तो देश की खातिर बलिदान देने वालों में रखी थी/ एक एक करके सिर कटते गये तब जाकर देश आजाद हुआ / नेहरु और गाँधी ने परिपक्व आन्दोलन का नेतृत्व किया था / इसलिये आज फिर देश बलिदान मांग रहा है परन्तु लोग कह रहे हैं पहले आप ! पहले आप !
रचना रस्तोगी
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