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भारत में आजकल जहाँ देखो बस एक ही बहस कि “साहब भ्रष्टाचार बहुत है,नेता बहुत बेईमान हैं ,सरकारी कर्मचारी बहुत बेईमान है ” आदि आदि / यह बात केवल जनसमुदाय ही नही कहता बल्कि नेतागण सरकारी कर्मचारियों के बारे में और सरकारी कर्मचारी नेतागणों के बारे में यही राय रखते हैं/ और सबसे ज्यादा गाली वह देता है जिसके हाथ में माईक होता है और अब वह चाहे मीडिया वाला हो,नेता हो,स्वामी हो,बाबा हो,समाज सेवी हो ,छुटपैय्या नेता हो,पार्टी का आलाकमान हो या छात्र नेता हो या रिटायर्ड कर्मचारी हो/ अर्थात कहने का तात्पर्य यही है कि आज “ईमानदार” केवल वही है जिसके पास “माईक” है,अब चाहे उसकी कोई सुने या ना सुने ,परन्तु उसका काम है कहना / जब तक स्वामी रामदेव खबरिया चेनलों को अपने पीटी “शो” हेतु पैसा दे रहे थे,तब तक स्वामीजी ना केवल “योगपुरुष” थे अपितु बहुत बड़े राष्ट्र भक्त थे या कहें कि भारत में ईमानदारी के अवतार भी थे / हालत यहाँ तक थी अगर केरल या कन्याकुंवारी या श्रीनगर काश्मीर में किसी को कब्ज भी हो जाता था,या दस्त लग जाते थे,या कोई छोटी से छोटी कोई सामाजिक या अपराधिक घटना भी घट जाती थी,तो खबरिया चेनल वाले घटना घटने के मात्र दो मिनट के भीतर ही स्वामीजी की प्रतिक्रिया लेने पहुँच जाते थे,परन्तु जब से स्वामीजी का स्वागत केन्द्रीय सरकार ने अपने ढ़ंग से किया है,तब से स्वामीजी का वक्तव्य या प्रतिक्रिया आनी बंद हो गयी हैं, जहाँ स्वामीजी पहले लादेन को भो योग सिखाने को तैयार थे,सारे नेतागण स्वामीजी के चरण स्पर्श करके अपने हाथों को धोना भी पसंद नही करते थे कि कहीं पवित्र कण धुल ना जायें ,वहाँ अब यही लोग स्वामीजी के पास जाने से भी कतराते हैं, क्यों ?क्योंकि पहले स्वामीजी के पास “योगशक्ति” कम बल्कि “माईकशक्ति” ज्यादा थी,और अब ना “माईक” ही है और ना ही बोलने की शक्ति / खबरिया चेनल तो खैर सत्य,अहिंसा,दया,करूणा और प्रेम भाईचारा के जीते जागते साक्षात अवतार हैं क्यों? क्योंकि उनके पास अपने को अवतार बताने का “माईक” जो है / चंद रुपियों की खातिर विज्ञापन देने से परहेज नही और जब पोल खुले तो बदनाम करने से भी पीछे नही / एक तथाकथित मानसिक रोग चिकित्सक जब तक खबरिया चेनलों या समाचार पत्रों के मुख्यप्रश्ठों पर अपने कार्यालय या चिकित्सालय के विज्ञापन दे रहा था,बहुत ईमानदार था,क्योंकि उसके हाथ में “माईक” था और जैसे ही “माईक” छिना,उसको नारकोटिक विभाग ने धर दबोचा और मुकदमन कायम कर दिया/ आज दिग्विजय सिंह जी जो कुछ कह रहे हैं उसके पीछे कौन है केवल “माईक” शक्ति,मन मोहन सिंह कुछ नही कह पाते हैं क्योंकि उनके पास शक्ति तो है पर “माईक” नही/ अन्ना हजारे को भी पोपुलर किसने बनाया केवल “माईक” शक्ति ने,जबकि मुज्जफरनगर जिले में भी एक व्यक्ति पिछले सत्रह वर्षों से भ्रष्टाचार के विरुद्ध अनशन पर बैठा था,परन्तु उसकी किसी ने नही सुनी क्योंकि उसके पास “माईक” नही था/ आजादी की जंग को ही देख लेवें,भगत सिंह राजगुरु सुखदेव और भी ना जीने कितने लोगों को फांसी हुई थी क्योंकि वे अपनी बात कह ही नही सके क्यों ?क्योंकि उनके पास “माईक” नही था ,यहाँ तक कि सुभाष बोस को भी पीछे हटना पड़ा परन्तु मोहन दास गाँधी ना केवल महात्मा बने बल्कि राष्ट्रपिता भी बने क्योंकि उनके पास “माईक शक्ति” थी,जवाहर लाल नेहरु की सफलता के पीछे भी प्रत्येक्ष नही तो अप्रत्येक्ष ही सही ,थी तो “माईक शक्ति” ही/ इसलिये अगर आज सफल होना है तो कोशिश करो को ‘माईक” अपने मूंह के सामने से हटे नही ,”माईक हीन” व्यक्ति ना केवल शक्ति हीन हो जाता है अपितु उसकी ईमानदारी भी संदेह के घेरे में आ जाती है /
रचना रस्तोगी
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