Menu
blogid : 4811 postid : 37

हमारा देश भारत किसी पार्टी या नेता या बाबा का नही बल्कि एक सौ इक्कीस करोड़ देशवासियों का है

bharat
bharat
  • 178 Posts
  • 240 Comments

दो व्यक्ति बचपन से ही बहुत गहरे दोस्त थे,समय में पलटा खाया,एक नेता बन गया और एक व्यापारी / एक का नाम “राधे श्याम शर्मा” और नेताजी का नाम “रई सुद्दीन सिद्दीकी” था/ चूंकि दोनों के नामों के इनिशियल “आरएसएस” थे तो लोग उनको अक्सर आरएसएस बंधू कहते थे /दोनों के भाग्य बदले शर्माजी उद्योगपति बनगया और रईसुद्दीन केन्द्रीय उद्योगमंत्री बन गये / “राधे श्याम शर्मा” ने अपने सभी फेक्टरियों के सभी नाना प्रकार के उत्पादों के नाम अपने और अपने लंगोटिया यार नेता के नामों के इनिशियलों को प्राथमिकता देते हुए “आरएसएस” रख दिए चूंकि दोनों की दोस्ती ही ऐसी थी,इसलिए दोनों ने इस नाम पर कोई संदेह ही व्यक्त नही किया/ कुछ दिन बाद नेताजी पर आरोप लगने लगे कि वे तो “आरएसएस” के कार्यकर्त्ता ही नही बल्कि “आरएसएस” के पुजोर समर्थक भी हैं,वे तो चप्पल से लेकर दन्त मंजन या नहाने के साबुन तक भी “आरएसएस” मार्का वाला प्रयोग करते हैं ,उनके मकान में ईंटें भी “आरएसएस” मार्का लगी हुईं हैं उनकी तो नस नस में “आरएसएस” बसा हुआ है /हालाँकि पार्टी हाई कमान भी इस तथ्य से भली भांति परिचित थे कि यह “आरएसएस” इनके नामों के इनिशियल हैं परन्तु इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने तो तिल का ताड़ बना दिया था, खैर बेचारे बहुत परेशान हुए उन्होंने यह दर्द अपने दोस्त शर्माजी को बताया, / शर्माजी ने तुरंत सुझाया ,क्या हुआ नाम बदल देते हैं कुछ और रख लेंगे परन्तु रई सुद्दीन ने कहा कि “हम दोनों इस देश की संतान हैं,अल्लाह सब जनता है कि मैं भी साफ़ दिल हूँ और तू भी / जब तक जिन्दा हैं तब तक यह नाम रहेगा आने वाली पीढ़ी क्या सोचती है वह जाने, परन्तु देश को बांटने वालों के सामने सिर नही झुकायेंगे/ तू भी ईमानदारी से अपना व्यापार चला रहा है ना तुने आजतक कोई मिलावट ही की है और नहीं कोई अवैध कारोबार किया है और मैंने भी आज तक कोई दलाली नही खायी है और नाही कोई रिश्वत ही ली है और नाही अमेरिका की चापलूसी की है/ तुने भी मेरी ही तरह इस देश का पानी पिया है और अनाज खाया है इसलिए यह मुल्क जितना मेरा है उतना ही तेरा भी है और सभी का भी उतना ही है जिन्होंने यहाँ जन्म लिया है/ मेरे तेरे जन्म से भी पहले यह मुल्क था और मेरे तेरे मरने के बाद भी मुल्क रहेगा परन्तु जो मुल्क के लिये मरे उनका नाम सदैव लोग याद रखते हैं, “अब्दुल हमीद” और “भगत सिंह” जैसे शहीदों के कारण आज देशवासी खुली हवा में सांस ले रहे है अगर ये ना होते तो क्या हाल होता और अगर हमने मुल्क बाँटने वाली ताकतों का साथ दिया तो आने वाली नस्लें हमें कभी माफ़ नही करेंगी/ हमारा देश भारत किसी पार्टी या नेता या बाबा का नही बल्कि एक सौ इक्कीस करोड़ देशवासियों का है/ हमारी पहचान देश से है और देश की पहचान हमसे है/ ना जाने कितने राजा आये और चले गये परन्तु देश आज भी वहीँ है इसलिए हमें इस देश की इज्जत के सौदागरों का तिरस्कार करना चाहिये और देशप्रेमियों का सम्मान /” काश यह संवाद सभी एक सौ इक्कीस करोड़ लोगों के समझ में आ जाय तो भारत पुनः “विश्वगुरु” बन जाएगा /
रचना रस्तोगी

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh