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अब “गँगा” भी मांगे इन्साफ

bharat
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जैसी कि मान्यता है कि गँगा को धरती पर लाने के लिये “भागीरथ” ने कई हजार वर्ष तक कठोर तप किया था / तब जाकर इनको भगवान् का आशीर्वाद प्राप्त हुआ और फिर भगवान शंकर की जटाओं से होती हुई धरती पर माँ गँगा अवतरित हुईं/ अन्य धर्मावलम्बी लोग अगर इस तथ्य को सत्य ना भी मानें तो भी गँगा को प्रकृति का आशीर्वाद तो मानते ही हैं/ विश्व की सबसे नदी और लाखों एकड़ जमीन को नवजीवन देने वाली माँ गँगा भी भ्रष्टाचार ग्रस्त हो गयी है अब वे भी न्याय चाहती हैं/ मान्यता यह भी है कि गँगा में स्नान करने से मनुष्य के पाप धुल जाते हैं परन्तु यहाँ तो अब गँगा ही शुद्धि मांग रही है/ क्या अब देश में शुद्धि की बात करना केवल संतों महात्माओं के हिस्से में ही आ गयी है? जब से देश स्वतंत्र हुआ है तभी से लोग गँगा की शुद्धि की मांग करते आये हैं/ लाखों करोड़ों रूपया बह गया तब भी गँगा की कोई सुनवाई नही,आखिर क्यों? जहाँ से गँगा का उद्गम हुआ है और जहाँ गँगा समुंदर में मिल जाती हैं इस पूरी कई हजार किलोमीटर की यात्रा में गँगा को प्रदूषित किया जा रहा है,गँगा के किनारे बसे लोग सब तरह के पापों में लिप्त हैं, गँगा के किनारे बसे शहरों का मल मूत्र और विष्ठा के साथ साथ अन्य गन्दगी भी गँगा में ही प्रवाहित की जाती हैं/ जिस गँगा के पवित्र जल को लोग आचमन तो करते ही हैं बल्कि अपने अपने घरों में बोतल में बंद करके भी रखते हैं ताकि अपने किसी के मरने पर मृतक के मूंह में दो बूँद गँगा जल की डाली जा सकें/ अब आलम यह है कि अगर कोई जिन्दा व्यक्ति ही दो बूँद गँगा जल की अपने मूंह में दाल ले तो शमशान तक पहुँच सकता है/इतना प्रदूषित हो गया है पवित्र गँगा जल/ अब कुछ भ्रष्ट अधिकारियों ने हिन्दुओं की श्रद्धा को जानबूझकर ठेस पहुंचाने की नीयत से गँगा को लोगों के घरों में शौचालयों और स्नानघरों तक पहुंचाने के योजना बनायी है और इस जल को बेचने का मीटर भी लगाया जायेगा ताकि हिन्दुओं को माँ समान नदी का जल बेचा जा सके/ क्या बेचने के लिये माँ गँगा ही बंची ?जगह जगह माँ का मार्ग अवरुद्ध करके बाँध बनादिये गये/ जो बांध कम बल्कि विनाश के स्त्रोत्र ज्यादा बनगए/ उत्तर भारत विनाश के मुहाने पर बैठा है, जिस माँ गँगा के प्रवाह और वेग को धीमा करने भगवान् शंकर को अपनी जटाओं को खोलना पड़ा था ,उस माँ को बाँधों द्वारा रोका जा रहा है, आखिर माँ तो माँ ही होती है,पुत्रों की गलतियों को क्षमा करती रहती है परन्तु माँ कब तक क्षमा करेगी/ क्षमा की भी कोई हद होती है/ क्या टिहरी बाँध इतना सक्षम है कि माँ के प्रवाह या वेग को अधिक समय तक रोक सकेगा ?अगर माँ का संयम डोल गया तो विनाश लीला अवश्यम्भावी है / समय की पुकार यही है कि माँ को प्रसन्न करने के लिये माँ को प्रदुषण रहित बनाएं और सरकार पर दबाब बनाएं कि अगर कोई भी व्यक्ति माँ को प्रदूषित करने का दुस्साहस करे तो उसको कठोर से कठोर दंड दिया जाय/
रचना रस्तोगी

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