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कांग्रेस के सम्मानित नेता श्री राहुल गांधीजी ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा संचालित एक ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्य योजना में उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा घोर व्यापक अनियमितता बरतने के आरोप में राज्य सरकार से आरटीआई एक्ट के तहत सूचना मांगी है/ उनकी पहल निसंदेह प्रशंसनीय है परन्तु वे इसी विभाग में अपने ही केन्द्रीय मंत्री के कारनामों पर क्यों पर्दा डाल रहे हैं/ आज शहर शहर में प्राईवेट डेंटल कोलिज खुले हुए हैं जिनसे भारत में लगभग तीस हजार स्नातक डेंटल सर्जन(बीडीएस ) और छः हजार स्नातोकोत्तर(एम् डी एस ) डेंटल सर्जन प्रतिवर्ष तैयार होते हैं/ और ऐसे ही प्राईवेट मेडिकल कोलिज भी खुले हुए हैं जिनसे हजारों एम् बी बी एस और एम् डी डिग्री धारी डाकटर हर वर्ष बाजार में उतरते हैं/ क्या राहुल गांधीजी को पता नही है कि इन प्राईवेट डेंटल और मेडिकल कोलिजों में प्रवेश दिखाने को तो प्रवेश परीक्षा के द्वारा होता है परन्तु वास्तविकता में मोटा डोनेशन ही प्रवेश का एक मात्र रास्ता है/ अगर सुश्री मायावतीजी भी इन कोलिजों की मान्यता और गुणवत्ता की जांच के लिये केंद्र सरकार से आरटीआई एक्ट के तहत सूचना मांग लेवें तो केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित एक और नया घोटाला सामने आ जायेगा / बी डी एस पाठ्यक्रम के लिये दस से पंद्रह लाख डोनेशन,एम् डी एस पाठ्यक्रम के लिये पैंतीस लाख से चालीस लाख रूपया डोनेशन,एम् बी बी एस पाठ्यक्रम के लिये तीस लाख से पचास लाख रूपया डोनेशन और एम् डी पाठ्यक्रम के लिये सत्तर लाख से लेकर एक करोड़ रूपया डोनेशन वसूला जाता है,इस डोनेशन में सरकारी फीस भी जुडी हुई है / और चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता भी सभी के सामने है क्योंकि अधिकाँश क्या बल्कि सभी ही प्राईवेट कोलिजों को मान्यता सम्बंधित कौंसिलों के पदाधिकारियों को मोटी रिश्वत देने के बाद ही मिलती है,जो कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ही अधीन है,और यह संभव नही है कि जहाँ इतना बड़ी रकम का लेन देन होता हो केन्द्रीय मंत्रालय इन रुपियों की बंदरबांट में शामिल ना हो/ अगर आप इस डोनेशन की रकम का प्रतिवर्ष के टर्न ओवर का अपने साधारण केलकुलेटर में हिसाब लगाना चाहें तो केलकुलेटर की स्क्रीन पर इतनी बड़ी रकम आयेगी ही नही/ और यह सब किसके मूल्य पर, केन्द्रीय मंत्रीजी जो इतनी लज्जा तो आनी चाहिये कि इन अर्ध विक्षिप्त गुणवत्ता वाले प्राईवेट डेंटल एवं मेडिकल कोलिजों से उत्तीर्ण डाकटर, भारत की ही जनता का इलाज करेंगे/ कभी केन्द्रीय मंत्रीजी और स्वयं राहुल गांधीजी ,इन प्राईवेट डेंटल कोलिजों में चल रहे तथाकथित अत्याधुनिक उपकरणों एवं चिकित्सा विशेषज्ञों से अलंकृत सौ बिस्तरों वाले अस्तपतालों और प्राईवेट डेंटल कोलिजों के क्लिनिकल विभागों का मीडिया एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन के भारत में कार्यरत प्रतिनिधियों की देख रेख में अवलोकन करने का कष्ट करें,और फिर जनता को बताएं क्या वे उस डेंटल कोलिज या मेडिकल कोलिज में अपना या अपने किसी रिश्तेदार का इलाज करवाएंगे? मेडिकल कौंसिल का अध्यक्ष कहता है कि भारत में डाक्टरों की कमी है,तो वह ही बतादे कि पिछले पांच सालों में कितने राज्य या केंद्र में ही सरकारी नौकरी में कितने डाक्टरों की नियुक्ति की है या कितने डाक्टरों की नियुक्ति का विज्ञापन ही निकाला है ?झूठ पर झूठ बोलकर प्राईवेट कोलिजों को खोलने का षड़यंत्र रचा जा रहा है /जबकि हकीकत यही है कि डाक्टरी की डिग्री का व्यापार हो रहा है /
रचना रस्तोगी
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