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घडियाली आंसू

bharat
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“घडियाली आंसू” कहावत कितनी सत्य है इसका पता लगाना तो मुश्किल है क्योंकि इतना साहस तो शायद ही किसी मनुष्य में हो कि वह मगरमच्छ की आँखों में झांक कर उसके आंसू देख सके परन्तु मोटे लेंस के चश्मे लगाने वाले तक मनुष्य भी अपने इर्द गिर्द के नेताओं को जरुर इस तरह के आंसू बहाते देख सकते हैं / अगर बहिन मायावती जी के तानाशाही रवैय्ये और भट्टा गाँव में किसानों के उत्पीडन से से श्री राहुल गाँधी वास्तव में ही स्तब्ध हैं तो क्यों इतना नाटक कर रहे हैं कि अपने ही पार्टी द्वारा नामित प्रधानमंत्री (जो कि दिनरात राहुल गाँधी और इनकी माताजी सोनिया गांधीजी की ही चालीसा रटते हैं) के पास भट्टा गाँव के किसानों को ले गये, / श्री राहुल गाँधी अगर चाहते तो मायावतीजी की सरकार को बर्खास्त भी ती करा सकते थे क्योंकि केंद्र सरकार भी इन्ही ही की है और राष्ट्रपति भी इनकी ही पार्टी से नामित हैं/ जो ड्रामा ये कर्नाटक में कर रहे हैं वह उत्तर प्रदेश में भी कर सकते हैं/ जब स्वर्गीय श्री विश्व नाथ प्रताप सिंह की अगुवाई में मंडल कमीशन लागू हुआ था तो हजारों होनहार सामान्य वर्ग के छात्रों ने अनुचित जातिगत आरक्षण के विरोध में आत्मदाह किया था,तब इन नेताओं की मार्मिक संवेदना कहाँ मर गयी थी, ?/आज हजारों होनहार छात्र केवल जातिगत आरक्षण की वजह से देश सेवा से वंचित रह जाते हैं तब इन नेताओं की मार्मिक संवेदना कहाँ चली जाती है ?/ आज पश्चमी उत्तर प्रदेश में खुले आम प्राईवेट क्षेत्र में गुणवत्ता विहीन उच्च शिक्षा चाहे वह प्राईवेट डेंटल कोलिज हों या प्राईवेट इंजीनियरिंग कोलिज हों या प्राईवेट मेडिकल कोलिज हों या प्राईवेट मेनेजमेंट कोलिज हों, माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के विरुद्ध, मोटी डोनेशन वसूलकर बेचीं जा रही है तब इन नेताओं की संवेदना कहाँ चली जाती है,?क्यों नही माननीय राहुल गांधीजी अपने प्रधान मंत्री से इन तकनीकी उच्च शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता और इनकी मान्यता की जांच सीबीआई से कराने के लिये कहते ?प्राईवेट डेंटल कोलिजों में इतने घोटाले हैं,ना वहां उचित शिक्षा ही है और ना ही वहां मरीजों का उचित इलाज़ जिससे जहाँ ना केवल छात्रों का भविष्य ही चौपट होता हैं बल्कि भारत की जनता के जीवन से सीधा सीधा खिलवाड़ भी/ आज इन प्राईवेट इंजीनियरिंग और मेनेजमेंट कोलिजों से छात्र डिग्री खरीदकर बड़े बड़े व्यावसायिक मालों में सेल्स मेन का कार्य कार्य कर रहे हैं,राहुल गांधीजी को शिक्षा की इस दुर्दशा के बारे में भी सोचना चाहिए/ शहरों के डिग्री कोलिजों में शिक्षक एक भी दिन कक्षा में पढ़ाने नही आते,बेचारे विज्ञान के स्नातक जैसे तैसे प्राईवेट टूशन लेकर अपनी परीक्षा में बैठते हैं,जबकि ये डिग्री कोलिज कहीं कहीं तो जिलाधिकारी या मंडलायुक्त के कार्यालय के सामने ही स्थित हैं,क्या नेताओं को शिक्षा की यह दुर्दशा दिखाई नही देती?जिस देश का छात्र बर्बादी के कगार पर है वहां क्या देश की तरक्की होगी? कांग्रेस पार्टी अगर सड़क जाम करे तो वह उचित और अगर अन्य कोई करे तो जनता को तकलीफ? एक जैन संत को जबरदस्ती उत्पीडित किया गया,तब तो कोई भी नेता नही बोला? क्यों नही राहुल गांधीजी अपने प्रधान मंत्री से मांस निर्यात पर प्रतिबन्ध लगवाते क्योंकि “जीव हत्या” को “मांस उत्पादन” कहा जा रहा है / इसलिए “घडियाली आंसू” बहाने बंद करके इन नेताओं को देश हित में सकारत्मक कदम उठाने चाहिये/ इन्ही राहुल गांधीजी की सरकार ने पेट्रोल की कीमत बढ़ाकर आम जनता के मूंह से निवाला ही छीन लिया,अगर बहिन मायावतीजी ने भट्टा गाँव में तांडव कराया है तो आपने तो पूरे देश में ही करा दिया /,नेताओं को कभी मध्यम वर्ग का ख्याल क्यों नही आता ?
रचना रस्तोगी

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