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जब से लादेन की हत्या हुई है तब से भारत के इलेक्ट्रोनिक मीडिया को तो टाईम पास करने का अच्छा बहाना मिल गया है/ जबकि लादेन की हत्या से भारत का कोई लेना देना नही है और ना ही लादेन ने भारत के खिलाफ कोई जिहाद छेड़ा हुआ था परन्तु केवल गुलाम मानसिकता और चाटुकारिता के चक्कर में भारत का इलेक्ट्रोनिक मीडिया केवल अमेरिका को प्रसन्न करने के लिए लगातार “लादेननामा” गाये जा रहा है/ इतनी बार तो अमेरिका ने भी लादेन का नाम लिया नही होगा जितना भारत का इलेक्ट्रोनिक मीडिया स्वयं ले रहा है और खाली लोग जिनके पास कुछ काम धाम नही है बेचारे “लादेननामा” सुनने को मजबूर हैं/ लादेन यह करता था लादेन वह करता था,उसका दूध इस हलवाई के यहाँ से आता था,उसके घर का सामान इस परचूनिया की दूकान से आता था,अखबार वाला अखबार घर के बाहर डाल जाता था,उसके यहाँ भेड़ बकरी गाय भैंस बंधी रहती थी फिर भी दूध बाहर से मंगवाया जाता था,पल्स पोलिओ की बूँद ऐसे पिलाई जाती थी,आदि आदि / मतलब कहने का यह है कि लादेन को ऐसे प्रस्तुत किया जा रहा है जैसे लादेन साधारण मानव ना होकर कोई अवतारी महात्मा था / कोई भी नागरिक यह कहने को तैयार नही कि अमेरिका ने पाकिस्तान में घुसकर एक मनुष्य की हत्या की है/ उधर भारत के सेना प्रमुख भी अपना बयान देने से पीछे नही हैं जबकि सारे भारतीय जानते हैं कि सेना की नौकरी पाने में भी रिश्वत देनी पड़ती है और सेना में भी भ्रष्टाचार खुले आम है / और स्वयं सेनाप्रमुख की ही जन्म तिथि घपले में है /कारगिल के मैदान में अपनी ही धरती से विदेशी आतंकियों को भगाने को विजय बताया जाता है जबकि चीन का मुकाबला करने में माथे पर बल पड़ जाता है/ भारत के लिए तो लादेन का पर्याय भ्रष्टाचार है,जिस दिन भारत से भ्रष्टाचार समाप्त हो जायेगा उस दिन समझेंगे कि भारत से आतंक मिट गया /जो कि हालात देखते हुए फिलहाल असंभव सा ही है कोई चमत्कार हो जाय तो कहा नही जा सकता /
रचना रस्तोगी
मेरठ
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