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भारत के माननीय सर्वोच्च न्यालय ने जब केंद्र सरकार से पूछा कि स्विस बेंकों में भारत का कुल कितना काला धन है तो सरकार ने इस विषय पर अपनी अनभिज्ञता प्रदर्शित कर दी / साफ़ जाहिर है कि जिसको जितना कमाने का मौका मिला उसने उतना जोड़ लिया,जिसने सबसे ज्यादा राज किया उसके पास उतना ही धन होगा अब चाहे सफ़ेद हो या काला /सबसे ज्यादा कमाने का मौका यातो नेताओं को मिलता है या फिर नौकरशाहों को इसलिए इनके अलावा और किसके पास होगा/ सरकार को यह तो पता नही कि नेताओं और सरकारी नौकरशाहों के पास कितना धन है पर इस बात के आंकडें जरुर हैं कि भारत में पैदा होने हर बच्चा पैदा होते ही जरुर तेरह हजार रूपया का कर्जदार हो जाता है /जिसने कमाया उसको तो पता नही कि कितना कमाया पर जो अभी अभी पैदा हुआ उसको होश भी नही आया पर वह जरुर तेरह हजार का कर्जदार हो गया / जो परिवार टेक्स देते देते मर गए उनके बच्चे भी कर्जदार और जो केवल सारी सुविधाएं अधिकार से भोग रहे हैं उनके बच्चे भी कर्जदार/ भई वाह ?क्या गणित निकाला है ?जबसे भारत आजाद हुआ है,और भारत की मुद्रा पर महात्मा गाँधी अंकित हुए हैं,जब से भारत की मुद्रा छपनी शुरू हुई है तब से लेकर अब तक जितने भी नोट छपे हैं,उनकी संख्यां मालूम कर लें और जितने बैंकों में आज जमा हैं उनकी संख्या मालूम करलें,पहली संख्यां में से दूसरी संख्या घटादें ,और इस राशि में से अब तक के सभी तरह के टेक्सों में जमा की गयी धनराशि घटादें ,अब जितने बचे बस वे ही काला धन है,और यही वह धन है जो नेताओं और नौकर शाहों के बीच बंटा है / जनसंख्या तो गिन सकते हैं परन्तु काला धन नही?
रचना रस्तोगी
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