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समय का रख बदलते देख सियासी लोग भी गिरगिट की तरह रंग बदलने में देर नहीं लगाते/अन्ना हजारे के अनशन ने लोगों के जमीर को हिला कर रख दिया और यह सोचने को मजबूर कर दिया कि वास्तव में ये जीना भी कोई जीना है जहाँ हर जगह सरकारी संतरी से लेकर मंत्री तक की जेब गर्म किये बगैर कोई काम बनने वाला ही नहीं/ काम कानूनी हो या गैर कानूनी यह विषय दूसरा हो सकता है परन्तु जन्म से लेकर मृत्यु तक यानी जन्मस्थान से लेकर शमशान तक भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार है/ भगवान् ना करे यदि किसी दिन आपको अपने किसी सम्बन्धी के पोस्टमार्टम और उसके बाद शव ग्रहण करने तथा शवदाह करने की प्रक्रिया से आमना आमना हो जाय तो आपको मृतक से ही संवेदना तक ख़त्म हो जायेगी,क्योंकि जब सरकारी तंत्र एक मुर्दे तक को नहीं बख्शता तो जिन्दा को क्या बख्शेगा ? अन्ना हजारे के अनशन में उमड़ते जन समूह को देखकर अब मण्डल आयुक्त से लेकर चपरासी तक अपने को ईमानदार बताने लग जायेंगे और नेता तो अपने को धर्म का अवतार ही बताने लग जायेंग/ बेचारा एक साधारण नागरिक तो इन नेताओं और अफसरों की रंग बदलतो फितरत को देख कर,यदि किसी काम वश सरकारी दफ्तर पहुँच जाय और वहां गांधीजी की फ्रेमजड़ी फोटो को देखकर यह सोच बैठे कि आज उसको रिश्वत नहीं देनी पड़ेगी,तो जैसे ही इन सरकारी कर्मचारियों से बात करेगा तुरंत यह कह उठेगा कि अपना काम बाद में करवायुंगा , पहले अन्ना हजारे के अनशन में बैठूँगा/
Rachna Rastogi
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