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आज जिसे देखो , वह बी पी एल कार्ड बनवाने के चक्कर में है यहाँ तक कि रिश्वत देकर वह अपना बी पी एक कार्ड बनवाता है/ यह भी अब एक स्टेटस सिम्बल हो गया है/ क्योंकि इसमें मुफ्त के बराबर ही अनाज और अन्य सामान खरीदने से लेकर बैंक से कम ब्याज पर कर्जा तक लेने की सुविधाएं उपलब्ध हैं/कोई भी बुद्धिजीवी यहाँ तक मीडिया भी इस ओर नहीं देखना चाहता कि आखिर इस बी पी एल कार्ड की सुविधा का बोझ आखिर पड़ता किसपर है/ क्या एक सामान्य वर्ग के लोगों ने इनलोगों को गरीब बनाया है?इन लोगों ने इन कार्डों पर मिलने वाली सुविधाओं के चक्कर में बच्चे पैदा करने की रेस लगा रखी है,क्यों नहीं सरकार इनकी नसबंदी अनिवार्य करती?जहाँ ये जनसंख्याँ तो बढ़ाते ही हैं ऊपर से देश की अर्थ व्यवस्था को भी चौपट करने में लगे हैं/यदि नेताओं को इनकी ज्यादा चिंता है तो क्यों नहीं अपने भत्तों और वेतन से इनको अपने पास से सहायता देते?आज देश के सामान्य वर्ग के लोगों के यहाँ एक या ज्यादा से ज्यादा दो बच्चे मिलेंगे वहीँ इनके(बीपीएल) यहाँ बच्चों की पूरी फ़ौज है/एक ही घर में कई कई बीपीएल कार्ड हैं/ कौन कहता है ये गरीब हैं,इनकी औरतें घरों में झाड़ूपौंछा करती हैं,इनके आदमी दूकानदारों या मनरेगा में काम करते हैं,इनके बच्चे पांच साल की उम्र से ही काम पर लग जाते हैं,यदि स्वरोजगार देखना है तो इन बीपीएल कार्डधारियों के यहाँ देखो?जिन लोगों ने इनको रोजगार दे रखा है,उनसे पूछो कि ये कितना ब्लेकमेल करते हैं अपने स्वामियों का,आज ये तथाकथित बीपीएल कार्डधारी अपनी शर्तों पर काम करते हैं / फिर सबसे बड़ा सवाल कि इनको गरीब क्या हमने बनाया है जो इनका बोझ हमारे सिर पर लादा जाय/ इनको काम दो नाकि बीपीएल कार्ड देकर नकारा बनाओ/
रचना रस्तोगी
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